बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस कर्मचारी को नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया, जिसे उसके और कंपनी के बीच औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत मामला लंबित होने के बावजूद बर्खास्त कर दिया गया था.
उच्च न्यायालय ने श्रम अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि श्रम अदालत ने सुनवाई लंबित रहने के दौरान कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किए जाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर फैसला किया. आदेश को रद्द करने का कोई औचित्य नहीं बनता. श्रम अदालत सही तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बर्खास्तगी अनुचित थी और कमर्चारी को पुराने वेतन पर बहाल करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि जब श्रम अदालत के समक्ष कोई विवाद लंबित होता है, तो उसके पास बर्खास्तगी के आदेशों को रद्द करने सहित सभी मामलों पर निर्णय करने का अधिकार होता है.
मामला शहतूत सिल्क्स लिमिटेड (पुराना नाम शहतूत सिल्क इंटरनेशनल लिमिटेड) और एक कर्मचारी एन. जी. चौडप्पा के बीच का है. कंपनी की आंतरिक जांच में उन्हें कदाचार का दोषी पाया गया था और उन्हें छह अगस्त 2003 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. चौडप्पा ने अपनी बर्खास्तगी को श्रम अदालत के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने 27 अगस्त 2009 को उनकी बहाली का निर्देश दिया था. कंपनी ने 2009 में ही श्रम अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने 20 फरवरी 2023 को बहाली के फैसले को सही ठहराया. सोर्स- भाषा