जयपुर: जल जीवन मिशन घोटाले में पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी के बाद अब जलदाय विभाग में हडकंप मचा हुआ है. अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत व प्राइवेट लोगों की भूमिका से हुए इस घोटाले में विभाग के कई प्रमुख अधिकारियों की भी भूमिका बताई जा रही है. पूरे घोटाले में इंजीनियर्स के साथ साथ बडी चैन शामिल है, ऐसे में जल्द ही ईडी अब कुछ अधिकारियों को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है.
जल जीवन मिशन घोटाले में ईडी का एक्शन:
-पूर्व मंत्री महेश जोशी आ चुके हैं ईडी की गिरफ्त में
-अब जलदाय विभाग के कई अधिकारी ईडी की रडार पर
-महेश जोशी से पूछताछ के बाद गिर सकती है अधिकारियों पर गाज
-शिकायत आने के बाद भी टेंडर जारी किए थे अधिकारियों ने
-महेश जोशी के नजदीकियों को भी बुलाया जा सकता पूछताछ के लिए
-सिर्फ दो फर्म तक सीमित नहीं है जेजेए का घोटाला
-अब तक पदम जैन व महेश मित्तल के एंगल पर ही कार्रवाई
-लेकिन डूंगरपुर, बांसवाड़ा व पाली क्षेत्र में भी बड़ा घपला हुआ था
-पाइप लाइन बिछाए बिना ही कर दिया था ठेकेदारों को पेमेंट
-कई बड़े ठेकेदार जल जीवन मिशन घोटाले में शामिल
-ठेकेदारों को पहले गिरफ्तार कर चुकी है ईडी
-लेकिन घोटाले में शामिल अधिकारी अभी तक गिरफ्तारी से दूर
-सूत्रों के अनुसार ईडी के बाद अब एसीबी भी कर सकती है कार्रवाई
-अक्टूबर में एसीबी ने दर्ज की थी 22 लोगों के खिलाफ FIR
-महेश जोशी व संजय बड़ाया सहित कई अधिकारियों के भी नाम
राजस्थान का जलदाय विभाग भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है, यहां पर कई बार अधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े जाते हैं. जल जीवन मिशन में तो मानो अधिकारियों ने भ्रष्टाचार को ही मिशन मान लिया. जिम्मेदारी तो गांव ढाणियों तक पानी पहुंचाने की थी, लेकिन नेताओं, अधिकारियों, ठेकेदारों व प्राइवेट लोगों के गठबंधन ने यहां खुलकर लूट की है. फर्जी प्रमाण पत्रों और नियमों में बदलाव कर फर्मों को टैंडर दिए. इसके बदले घूस की राशि ली गई. हद तो तब हो गई, जब बिना पाइप लाइन बिछाए गए नियमों को ताक पर रखकर फर्मों को भुगतान कर दिया गया. खुद ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि घूस की मोटी रकम एईएन से लेकर मंत्री तक पहुंचती थी. एसीबी की एफआईआर में साफ लिखा है कि मंत्री महेश जोशी के करीबी संजय बडाया ही पूरे विभाग को चलाते थे.
महेश जोशी के नाम से संजय बडाया इंजीनियर्स को धमकियां देते हुए काम करवाते थे. महेश जोशी जब मंत्री थे, तब जलदाय विभाग में हुआ भी कुछ ऐसा ही था. संजय बडाया का निर्देश नहीं मानने वालों को सस्पेंड और एपीओं जाता था. ईडी में इंजीनियर्स के बयान दर्ज कि संजय बडाया जो कहते थे उसे करना ही पडता था.क्योंकि बडाया को पूर्व मंत्री जोशी ने छूट दे रखी थी. प्रदेश में इस घोटाले की परत उघाड़ने के लिए ईडी ने तीन बार छापेमारी की. महेश जोशी व संजय बड़ाया के साथ ही प्रॉपटी व्यवसायी कल्याण सिंह कविया, नमन गुप्ता, राम अवतार, आलोक खंडेलवाल, पूर्व आरएएस अमिताभ कौशिक के छापे पडे थे. वहीं जलदाय विभाग के तीन चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल ,केडी गुप्ता, आरके मीणा, तत्कालीन एडिशनल चीफ इंजीनियर आरसी मीणा, अधीक्षण अभियंता पारितोष गुप्ता, अधीक्षण अभियंता एमपी सोनी, एक्सईएन संजय अग्रवाल भी अब ईडी की रडार पर है. माना जा रहा है कि अब जलदाय विभाग से ऐसे इंजीनियर्स की गिरफ्तारियां हो सकती है, जो इस घोटाले में शामिल रहे.
वहीं एसीबी ने ईडी से रिपोर्ट मिलने के बाद पूर्व मंत्री महेश जोशी सहित 22 अधिकारियों के खिलाफ पिछले साल FIR दर्ज की थी. एसीबी की एफआईआर में कई जगह महेश जोशी और संजय बड़ाया का जिक्र आया. अधिकांश बार दोनों के नामों का एक साथ उल्लेख किया गया. एसीबी की जांच और ईडी से मिले दस्तावेजों में बड़ा खुलासा हुआ कि पूर्व मंत्री महेश जोशी, उनके सहयोगी संजय बड़ाया और पीएचईडी के अधिकारियों को टेंडर राशि का 4 प्रतिशत तक एडवांस भुगतान हुआ था. ये राशि दोनों संदिग्ध फर्मों मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने दी थी. ईडी ने इस संबंध में एसीबी को दस्तावेज उपलब्ध कराए थे. ईडी ने अपनी जांच के आधार पर पूर्व मंत्री महेश जोशी को आरोपी बनाया था. इसी आधार पर एसीबी ने भी महेश जोशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. हालांकि एसीबी की जांच अभी ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई है.