नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में कुंडा नाम का एक कस्बा है. कुछ दशकों पहले तक यहाँ के आस-पास के गाँवों में साक्षरता का स्तर बहुत ही निम्न था. पूरा इलाका भयंकर गरीबी की चपेट में था. महिलाओं की स्थिति तो और भी दयनीय थी. ऐसे में विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु, श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा कुंडा में शुरू किया गया कन्याओं के लिए निःशुल्क विद्यालय आशा की एक किरण लेकर आया. कुछ ही समय में सैकड़ों कन्याओं ने स्कूल में अपना नाम लिखवाया एवं मुफ्त, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा का लाभ लेने लगीं. देखते ही देखते समाज की स्थिति परिवर्तित होने लगी. लड़कियाँ पढ़-लिख कर स्वावलम्बी बनने लगीं एवं डॉक्टर से लेकर पुलिस तक हर प्रकार के प्रोफेशन में अपना परचम लहराने लगीं.
बड़ी दीदी का नेतृत्व: नारी शक्ति को मिली नई दिशा:
2002 में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महराज ने परिषत् की अध्यक्षता अपनी बड़ी सुपुत्री सुश्री डॉ. विशखा त्रिपाठी जी को सौंप दी. बड़ी दीदी के निर्देशन में, संस्था के जन-कल्याण के कार्यों में बढ़ोत्तरी ही होती चली गई.
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कहते हैं कि जब आप एक लड़के को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं. लेकिन जब आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं, तो आप दो परिवारों को शिक्षित करते हैं – लड़की का पैतृक परिवार और वह परिवार जिसमें उसकी शादी होती है. एक शिक्षित महिला यह सुनिश्चित करती है कि उसके बच्चे भी शिक्षित हों. एक शिक्षित बच्चा न केवल खुद के लिए और अपने परिवार के लिए एक अच्छी जीविका चलाने के काबिल बनता है, बल्कि सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक निर्णय लेने में भी सक्षम हो जाता है. इसलिए, एक बेटी को शिक्षित करना समाज के सम्पूर्ण स्तर को एक या दो पीढ़ियों के भीतर ऊपर उठाने का माध्यम बन जाता है. किसी भी समाज की स्थिति जाननी हो तो उसकी महिलाओं की स्थिति देखनी चाहिए. जब कुंडा एवं आस-पास के क्षेत्रों में महिलाएँ सशक्त बनने लगीं, तब समाज का विकास स्वतः ही होने लगा.
शिक्षा के माध्यम से समाज का समग्र विकास:
कृपालु बालिका प्राथमिक विद्यालय के बाद, कन्याओं की आगे की शिक्षा के लिए कृपालु बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज और कृपालु महिला महाविद्यालय भी स्थापित किये गए जहां के. जी. से लेकर स्नातकोत्तर एवं बी. एड. तक की शिक्षा पूर्णतः निःशुल्क रूप से उपलब्ध कराई जा रही है. इससे न केवल लड़कियाँ पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं बल्कि उनके परिवार एवं पूरे समाज का एक साथ उत्थान हो रहा है. यह गर्व का विषय था जब डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में धर्मार्थ शैक्षणिक संस्थान कृपालु बालिका इंटर कॉलेज की एक छात्रा ने 2023 में उत्तर प्रदेश राज्य बोर्ड परीक्षाओं में पाँचवाँ स्थान हासिल किया। यह इन संस्थानों की अनेक उपलब्धियों का एक उदाहरण मात्र है.
डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी: नारी शक्ति की प्रेरणा:
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की ज्येष्ठा सुपुत्री एवं जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षा डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी नारी सशक्तिकरण पर लम्बे-चौड़े वक्तव्य तो नहीं देती थीं पर उन्होंने वो काम करके दिखाए जिससे उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों की दशा एवं दिशा परिवर्तित हो गई. स्वयं एक नारी होते हुए उन्होनें न केवल इन स्कूल, कॉलेजों का संचालन बड़ी ही कुशलता से किया, बल्कि परिषत् के अन्य कार्यों को भी बखूबी सम्पादित किया.
जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षा के रूप में डॉ. विशखा त्रिपाठी जी ने प्रेम मंदिर-वृन्दावन, भक्ति मंदिर-श्री कृपालु धाम मनगढ़ और कीर्ति मंदिर-बरसाना के संचालन में भी प्रमुख भूमिका निभाई. इसके अतिरिक्त श्री वृन्दावन, श्री कृपालु धाम मनगढ़ और श्री बरसाना धाम में तीन विश्व-स्तरीय निःशुल्क अस्पतालों का भी दीदी जी ने प्रबंधन किया. अपने समाज सुधार कार्यों के लिए बड़ी दीदी को अनेक अवार्ड्स से सम्मानित किया गया जिनमें नेल्सन मंडेला शांति पुरस्कार, मदर टेरेसा उत्कृष्टता पुरस्कार, शीर्ष 50 भारतीय आइकन पुरस्कार, राजीव गांधी वैश्विक उत्कृष्टता पुरस्कार आदि शामिल हैं.
महान समाज सुधारक एवं गुरु भक्त:
डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने पूरा जीवन अपने पिता एवं गुरु, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया एवं अपनी अंतिम श्वास तक जीवों के आध्यात्मिक एवं भौतिक उत्थान के लिए प्रयत्नशील रहीं. इन सब कार्यों के द्वारा डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने गुरु सेवा और ईश्वर प्रेम का सन्देश तो दिया ही, साथ ही साथ नारी शक्ति का भी अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया. ये विश्व सदा उन्हें एक महान समाज सुधारक एवं गुरु भक्त के रूप में याद करेगा.