VIDEO: राजस्थान में परिवहन विभाग के उड़नदस्तों के साथ नहीं रुक रही मारपीट, उड़नदस्ते खुद को कर रहे असुरक्षित महसूस, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: परिवहन विभाग में उड़नदस्तों के साथ हो रही मारपीट की घटनाएँ रुकने का नाम ही ले रही हैं. लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से विभाग के उड़नदस्ते ख़ुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

परिवहन विभाग में उड़नदस्तों का काम और रौल बहुत महत्वपूर्ण है. नियमों की अवहेलना करने वाले वाहनों पर कार्रवाई की ज़िम्मेदारी उड़नदस्तों में काम करने वाले परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षकों की ही है. लेकिन सड़क सुरक्षा के लिए काम कर रहे परिवहन विभाग के उड़नदस्ते इन दिनों ख़ुद सुरक्षित नहीं है. प्रदेश में आये दिनों उड़नदस्तों के साथ मारपीट की घटनाएँ हो रहीं है जिससे परिवहन विभाग के राजस्व अभियान पर भी असर पड़ रहा है. कल ही जयपुर के रिंग रोड पर ओवरलोड कई गाड़ियों में सवार हो कर आगे लोगों ने जयपुर RTO प्रथम के उड़नदस्ते के साथ मारपीट की इतना ही नहीं लोगों ने उड़नदस्ते की गाड़ी में भी तोड़फोड़ की और चालान राशि के 37 हज़ार रुपये ले कर भाग गये. 

मुहाना मंडी थाने में इस घटना को लेकर परिवहन निरीक्षक ने रिपोर्ट दर्ज कराई है जिसकी जाँच जारी है. बीते कुछ महीनों में विभाग के उड़नदस्ते के साथ इस तरह की घटनाएँ लगातार बढ़ी हैं लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभाग कोई उपाय नहीं कर पाया है. बीते दिनों परिवहन निरीक्षक संघ ने परिवहन आयुक्त  से लेकर ACS गृह को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक माँगपत्र दिया था लेकिन अभी तक किसी माँग को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किए गये है. बीते 2 से 4 महीनों में परिवहन निरीक्षकों पर जानलेवा हमले तक हों चुके हैं इसके बाद भी उड़नदस्तों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई है.

परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षकों के साथ लगातार हो रही मारपीट की घटनाओं से क़ैडर में काफ़ी नाराज़गी है. नाराज़गी का सबसे बड़ा कारण हैं की मारपीट कि घटना होने के बाद एक ओर जहां उड़नदस्तों की पुलिस में सुनवाई नहीं होती वहीं परिवहन विभाग के स्तर पर भी आवश्यक सहयोग नहीं मिलता हैं. इतना ही नहीं पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद भी काफ़ी समय तक पुलिस प्रभावी कार्रवाई नहीं करती हैं. यही कारण हैं कि अधिकतर परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षक अब फ़ील्ड में जाने से परहेज़ कर रहे हैं.

परिवहन विभाग के उड़नदस्तों के साथ हो रही घटनाओं का कारण
1- परिवहन विभाग में बीते 25 सालों से एक ही तरह की चेकिंग प्रणाली हैं.
2- परिभाषा विभाग के उड़नदस्ते में अधिकतर वाहन खटारा हैं, 
3- परिवहन विभाग के उड़नदस्ते बुजुर्ग और रिटायर्ड गार्डों के भरोसे हैं.
4- ट्रांसपोटर्स की शिकायत पर परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षकों पर तुरंत कार्रवाई होती है लेकिन परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षकों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती.
5- मारपीट की घटनाओं के बाद पुलिस प्रभावी कार्रवाई नहीं करती है,, परिवहन मुख्यालय से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है.

परिवहन विभाग के उड़नदस्तों के साथ लगातार हो रही मारपीट की घटनाएँ चिंताजनक हैं. अगर समय रहते परिवहन विभाग ने इसका समाधान नहीं किया तो आने वाले दिनों में उड़नदस्तों के काम पर बहुत विपरीत असर पड़ सकता है.