जयपुर: राजस्थान में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार करने करने वाली राज्य खेल परिषद अब खाली सी हो गई है. खेल परिषद में 60 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं. न हर खेल का कोच है, न ही सभी जिलो में खेल अधिकारी. ऐसे में अब खेल परिषद के स्टेडियम में खिलाड़ी आखिर किससे ट्रेनिंग ले ?
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले राजस्थान के खिलाड़ियों के लिए प्रदेश में बड़ी ईनामी राशि भी है और आउट ऑफ टर्म सरकारी नौकरी भी, लेकिन बस अब नहीं है, तो वह है खिलाड़ियेां को तैयार करने वाले कोच और खेल सुविधाएं विकसित करने वाले खेल अधिकारी. जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान खेल परिषद की. यह परिषद अब खाली खाली सी नजर आ रही है. प्रदेश में खेल मैदान तो है, कई जगह अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं भी है. खिलाड़ी भी यहां ट्रेनिंग लेने को तैयार है, लेकिन आखिर ट्रेनिंग दे कौन, क्योंकि अर्जुन को तैयार करने वाले द्रोणाचार्य ही नहीं है. खिलाड़ी एकलव्य बनकर अपने स्तर पर ही तैयारी करने को मजबूर है. राजस्थान विधानसभा में खेल परिषद की जो स्थित आंकड़ों के रूप में पेश की गई है, उसको देखकर तो लगता है कि कहीं यह परिषद बंद न हो जाए. दरअसल भाजपा की वरिष्ठ नेता अनिता भदेल ने खेल परिषद के विभिन्न पदों की कुंडली मांग ली थी. आंकड़े देखकर आप भी भौंचक्के रह जाएंगे.
खाली सी हो गई है प्रदेश की खेल परिषद
- 483 में से महज 159 पद भरे हैं, 324 पद खाली पड़े हैं परिषद में
- खेल अधिकारी के 35 हैं, लेकिन प्रदेश में सिर्फ 4 खेल अधिकारी है
- खेल अधिकारी के 31 पद खाली पड़े हुए हैं
- चार में से दो खेल अधिकारियों की नियुक्ति जयपुर में है
- इन दो में से एक खेल अधिकारी लिंबाराम बीमार है
- एक-एक खेल अधिकारी जालौर व सीकर में तैनात है
- फर्स्ट ग्रेड कोच के 25 में से 17 पद खाली पड़े हुए हैं
- सैकंड ग्रेड कोच के 37 में से 25 पद खाली चल रहे हैं
- थर्ड ग्रेड कोच के 186 पद में से 140 पद खाली हैं
- थर्ड ग्रेड कोच के 186 में से महज 46 कोच हैं प्रदेश में
- खेल प्रबंधक के 15 में से 10 पद खाली पड़े हुए हैं
- महज पांच खेल प्रबंधन है, सभी जयपुर में तैनात है
- स्टेडियम सुपरवाइजर का एक पद हैं, वह भी वर्षों से खाली पड़ा
- स्टेनोग्राफर, वरिष्ठ सहायक, सहायक लेखाधिकारी के पद भी खाली
- गेम्स ब्वॉय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व चौकीदारों की कमी है परिषद में
- पूरे राजस्थान में सिर्फ एक जिम ट्रेनर तैनात कर रखा है खिलाड़ियों के लिए
प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उनको संभालने व संवारने वाले नहीं है. राजधानी जयपुर को छोड़ दे तो अन्य जिलों में हालात बहुत खराब है. राजस्थान में 40 से अधिक खेल संघ है. 40 खेल संघ तो खेल परिषद से ही मान्यता प्राप्त है. वैसे तो हर जिले में इन खेलों के कोच होने चाहिए, लेकिन हालात यह है कि कुछ जिले तो एक कोच के भरोसे ही चल रहे हैं.
- अलवर जिले के खेल महज एक महिला कुश्ती कोच के भरोसे हैं
- बांसवाड़ा में दो तीरंदाजी कोच के भरोसे चल रही खेल गतिविधियां
- अन्य खेलों के लिए यहां पर खेल परिषद का कोई कोच नहीं है
- बारां में सिर्फ हॉकी व भरतपुर में सॉफ्टबॉल कोच ही तैनात है
- बीकानेर में साईक्लिंग व बूंदी में वॉलीबॉल कोच के भरोसे हैं पूरा जिला
- चित्तोडगढ़ में महज कुश्ती कोच है, तो दौसा में बॉक्सिंग का कोच
- धौलपुर जिला तो एक गेम्सबॉय के हवाले किया है खेल परिषद ने
- श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ व जैसलमेर जैसे जिले में भी स्थाई एक-एक कोच
- जयपुर में ऐतिहासिक चौगान स्टेडियम सिर्फ एक कोच के भरोसे हैं
- विद्याधरनगर स्टेडियम में भी सिर्फ महिला कबड्डी कोच तैनात है
- नागौर, पाली, राजसमंद, सिरोही, टोंक व सीकर में भी एक-एक कोच
- पूरे राजस्थान में अभी 66 कोच तैनात किए हुए हैं खेल परिषद ने
- लेकिन कई खेल तो ऐसे हैं, जिनका एक भी कोच नहीं है परिषद में