नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत के इतिहास और संस्कृति को स्वरूप देने में लोकतंत्र की भूमिका की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि भारत में एक जीवंत लोकतंत्र है, जो बदलते समय और वैश्विक दायित्वों के साथ पूरी तरह तालमेल बना कर चल रहा है. लोकसभा अध्यक्ष ने भारतीय विदेश सेवा और रॉयल भूटान विदेश सेवा के प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत को गंभीर रूप से प्रभावित अर्थव्यवस्था, सामाजिक विभाजन और साक्षरता के निम्न स्तर जैसी समस्याओं के समाधान के लिए शासन का एक विकल्प अपनाना था.
उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में भारत ने लोकतंत्र को सच्ची भावना से और पूरे दिल से अपनाया जो भारत में चुनाव प्रक्रिया की सफलता से साबित हुआ है. बिरला ने कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत ने सदैव विशिष्टता के साथ लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रथाओं को कायम रखा है. उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को याद दिलाया कि भारत के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले कई देशों ने लोकतंत्र को कायम रखने के लिए संघर्ष किया या इसे त्याग दिया लेकिन भारत लोकतंत्र के पक्षधर के रूप में उभरा है. उन्होंने कहा कि भारत में एक जीवंत लोकतंत्र है, जो बदलते समय और वैश्विक दायित्वों के साथ पूरी तरह तालमेल बना कर चल रहा है. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारियों के सामने जलवायु परिवर्तन, विकासात्मक मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हैं. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए इन चुनौतियों को भारत के लिए अवसरों में परिवर्तित करें.
बिरला ने अधिकारियों को जलवायु परिवर्तन संबंधी संवाद में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की भूमिका, भारत की लोकतांत्रिक ताकत और इसकी आर्थिक कुशलता से दुनिया को अवगत कराने की सलाह दी. जी-20 शेरपा शिखर सम्मेलन और देश भर में हो रही बैठकों के संदर्भ में बिरला ने कहा कि आज न केवल देश के समृद्ध आतिथ्य-भाव का प्रदर्शन किया जा रहा है, बल्कि दुनिया को देश के नए और कम ज्ञात स्थानों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि युवा अधिकारियों को विश्व मंच पर भारत की छवि को बनाए रखना चाहिए और देश ने उन पर जो भरोसा जताया है, उस पर खरा उतरना चाहिए. सोर्स- भाषा