मुंबईः अयोध्या के मंदिरों और गुरुद्वारों में भक्ति गीत गाकर इस क्षेत्र में बढ़ने वाले ऋषि सिंह (19) ने ’इंडियन आइडल 13’ का विजेता बनने के बाद कहा कि वह एक संगीत जगत में ’धीरे-धीरे और लगातार’ अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. ऋषि देहरादून के एक संस्थान में विमानन प्रबंधन के तृतीय वर्ष के छात्र हैं. उन्होंने, कोलकाता की अपनी सह-प्रतियोगी देबस्मिता रॉय और जम्मू के चिराग कोतवाल को पीछे छोड़कर “इंडियन आइडल“ सीजन 13 का प्रतिष्ठित खिताब जीता.
उन्होंने कहा कि शुरुआत बहुत सामान्य थी, ऐसा नहीं था कि मैं संगीतज्ञ था. मैं सात साल की उम्र से ’भक्ति’ संगीत में हूं. मैं कीर्तन’ और ’सत्संग (भक्ति गायन) करता था, लेकिन मंच पर ऐसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह पूरी तरह से अलग क्षेत्र था. पहली बार किसी मंच पर बॉलीवुड गाना गाने का मौका मुझे तब मिला जब मैं यहां (’इंडियन आइडल 13’ में) आया. मुझे एक पेशेवर गायक की तरह महसूस हुआ.
सिंह ने कहा कि मेरा संगीत हमेशा मेरे साथ रहा है. मैंने पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ सीखा है. मैं धीरे-धीरे और लगातार ऊपर की ओर बढ़ना चाहता हूं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संगीत का लुत्फ उठाना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि मुझे खुद पर विश्वास था. मेरे माता-पिता और रिश्तेदारों समेत कई लोगों ने मुझे प्रोत्साहित किया. मैं (पारंपरिक) नौकरी से दूर रहना चाहता था. इसके बावजूद, मेरे परिवार ने मेरे संगीत करियर में मेरा साथ दिया.
सिंह ने बताया कि मुझे इस यात्रा में बहुत कुछ सीखने को मिला. मैं सावधानी से चलना चाहता हूं, अपने संगीत का आनंद लेना चाहता हूं और लोगों के लिए कुछ नया लाने की उम्मीद करता हूं. उन्होंने कहा कि उन्होंने मौलिक गाने बनाने और पुरस्कार राशि का उपयोग अपनी संगीत यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए करने की योजना बनाई है. सोर्स भाषा