VIDEO: जगदीप धनखड़ और किसान पॉलिटिक्स ! त्यागपत्र के बाद राज्य की किसान राजनीति में हलचल, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: उप राष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का विदा होना अपने आप में राज्य में किसान राजनीति में उबाल लाने वाला रहा. धनखड़ राज्य किसान की कम्युनिटी से आने वाले पहले किसान चेहरे रहे जो उप राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे. बीजेपी ने ही जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद तक पहुंचाया.

जब युग हुआ करता था राजे -रजवाड़ो का. जब भरी जाती थी जमींदारी प्रथा के खिलाफ हुंकार तब कांग्रेस की कोख से जन्मे किसान नेताओं ने सामंती-जागीरदारी प्रथा के खिलाफ अलख जाई और किसान आंदोलन का सूत्रपात किया ..40 से 50के दशक के बीच जमींदारी प्रथा के खिलाफ राजस्थान में किसान आंदोलन का बिगुल बज गया था. मारवाड़ से लेकर शेखावाटी तक हर ओर सामंती-जागीरदारी प्रथा के खिलाफ किसान आंदोलन ने हिंलौरे लेना शुरु कर दिया था. देश को आजादी मिली तो आंदोलन को और धार मिल गई . उस समय देश की सबसे बडी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का भी आंदोलन के प्रति समर्थन आ गया. आगे चलकर 1952 के चुनावों मे किसान आंदोलन के प्रणेता कांग्रेस के साथ खड़े हो गये तो राजे-रजवाड़ो से निकले नेताओं ने अलग पार्टी का गठन कर लिया. किसान नेता आगे चलकर कांग्रेस पार्टी की बैक बॉन साबित हुये. इनमें सबसे प्रखर नाम रहा चौधरी बलदेव राम मिर्धा का किसान आंदोलन को ख्याति दिलाने में बलदेव राम मिर्धा का योगदान रहा. 

धीरे-धीरे किसान और कांग्रेस की राशि साथ साथ दिखने लग गई. नाथूराम मिर्धा, परसराम मदेरणा,गंगाराम चौधरी,सरदार हरलाल सिंह,कुंभाराम आर्य,दौलतराम सारण,शीशराम ओला,रामनारायण चौधरी,रामदेव सिंह महरिया, डॉ हरि सिंह , नारायण सिंह सरीखे दिग्गज नेताओं ने किसानों के बीच सामाजिक औऱ राजनीतिक चेतना की अलख जगाई. इन नेताओं का कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव रहा. हरियाणा के किसान नेता सर छोटूराम के विचारों का राजस्थान की किसान राजनीति पर असर दिखा है. देश के प्रखर किसान नेता औऱ पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने हरियाणा से आकर शेखावाटी की धरती से चुनाव लड़ा. बलराम जाखड़ भी यहां चुनाव लडने के लिये आये थे. राजस्थान की सियासत में किसान हमेशा से ही पॉवर सेंटर रहे है. आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा किसान बिरादरी से ही रहे.

भैंरो सिंह शेखावत ऐसे पहले गैर कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने इस बात को समझा कि परिस्थितियां बदली जानी चाहिए. लिहाजा उन्होंने कांग्रेस , जनता दल और समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे दिग्गज किसान नेताओं को अपने साथ जोड़ा इनमें गंगाराम चौधरी सरीखे नेता प्रमुख रहे. इसी दौर में सतीश पूनिया को आगे बढ़ाया गया. शेखावत के प्रयोग का राजस्थान की बीजेपी को लाभ मिला. उन्होंने ही भानु प्रकाश मिर्धा को लाकर चुनाव लड़ाया.

वसुंधरा राजे ने तो किसान राजनीति में बीजेपी की जड़े जमाने का काम किया और कांग्रेस के वजूद वाले किसान बेल्ट में सेंध लगाई. सांवर लाल जाट, सुभाष महरिया, डॉ दिगंबर सिंह, रामनारायण डूडी,धर्मपाल चौधरी,विजय पुनिया, सरीखे नेताओं को आगे लाकर किसान राजनीति की और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया.इतना ही नहीं मिर्धा परिवार की दूसरी और तीसरी पीढ़ी को लेकर आए. आगे चलकर सबसे बड़ा कार्य किया नरेंद्र मोदी ने जब प्रख्यात वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीप धनखड़ को देश के उप राष्ट्रपति तक पहुंचाया..पहली बार राजस्थान के जाट वर्ग के चेहरे जगदीप धनखड़ उप राष्ट्रपति तक पहुंचे. नरेंद्र मोदी ने किसान सियासत को नई धार दी. चौधरी देवीलाल ने धनखड़ की सियासी प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना था