Jaipur News: आखिर कैसे आएगा रेवेन्यू जब संस्थाओं पर करोड़ों बकाया, ग्रेटर नगर निगम के टॉप 18 डिफॉल्टरों पर 83 करोड़ रुपए बकाया; जयपुर एयरपोर्ट से लेकर कई बड़े संस्थान भी इसमें शामिल

जयपुर: खराब वित्तिय हालात से जूझ रहे ग्रेटर नगर निगम जयपुर की आर्थिक स्थिति बकायादारों के चलते गड़बड़ाई हुई है. निजी कंपनियां और सरकारी विभागों पर नगर निगम के करोडों रुपए बकाया है. इनमें से 18 संस्थाओं पर करीब 83 करोड़ रुपए बकाया चल रहे हैं. यदि यह राशि नगर निगम को मिले तो ना केवल निगम के कोष की हालात सुधरेगी साथ ही केंद्र से मिलने बाले अनुदान के रास्ते भी खुल जाएगें आखिर कौन है निगम के करोड़ों के बकायेदार.

- आखिर कैसे आएगा रेवन्यू जब 18 ही संस्थाओं पर करोड़ों बकाया
- ग्रेटर नगर निगम के टॉप 18 डिफॉल्टरों पर 83 करोड़ रुपए बकाया
- जयपुर एयरपोर्ट से लेकर कई बडे संस्थान भी इसमें शामिल
- यहीं नहीं कई सरकारी महकमें भी इसमें शामिल जिन पर करोड़ों बाकी
- जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन पर करीब 19 करोड़ 17 लाख रुपए बकाया
- जयपुर विकास प्राधिकरण पर 9 करोड़ 44 लाख रुपए बकाया
- सवाई मानसिंह स्टेडियम पर 7 करोड़ 38 लाख रुपए बकाया
- RUHS मेडीकल कॉलेज पर  7 करोड़ 20 लाख रुपए बकाया
- राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन पर 6 करोड़ 99 लाख रुपए का बकाया

ग्रेटर नगर निगम में नगरीय विकास कर, विज्ञापन शुल्क, मैरिज गार्डन पंजीनयन शुल्क, मॉवाइल टॉवर, हाउस टैक्स, होर्डिंग साइट्स, डेयरी बूथ  सहित पार्किग से निगम को राजस्व प्राप्त होता है इस साल की बात करें तो अभी तक निगम को करीब 86 करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. लेकिन निमग की ओर से अनुबंधित फर्म स्पैरों के सामने एक बड़ी समस्या बकायादारों से वसूली की आ रही है. दरअसल, स्पैरों कंपनी यूडी टैक्स, सहित, विज्ञापन शुल्क वसूल करती है. ऐसे में ग्रेटर नगर निगम में 18 ऐसे डिफॉल्टर है जिन पर निगम का 83 करोड़ रूपया बकाया चल रहा है अगर इन बकायादारों से ये राशि आती है तो स्पैरों कंपनी भी अपने टारेगेट को अचीव कर लेगी वहीं दूसरी ओर निगम की आर्थिक स्थिती भी सुधरेगी. 

जयपुर एयरपोर्ट पर ही निगम का 19 करोड़ रुपए बकाया:
ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में आने वाले जयपुर एयरपोर्ट पर ही निगम का नगरीय विकास कर के रूप में करीब 19 करोड़ रुपए बकाया चल रहे हैं दरअसल पिछले साल तक जयपुर एयरपोर्ट सरकार के अधीन था जिस पर एक अनुमानित शुल्क लगाया जाता रहा और जयपुर एयरपोर्ट ऑथरोटी भी इस शुल्क का भुगतान भी करती रही लेकिन अब यह अडाणी समूह के हाथ में है. ऐसे में सरकार ने इसे कॉमर्शियल प्रोपर्टी घोषित कर दिया ऐसे में अब 19 करोड़ का नगरीय विकास शुल्क जमा कराने में एयपोर्ट प्रशासन आना कानी कर रहा है. 

बकाया राशि मिलने पर निगम अपने क्षेत्र में विकास के कार्य आसानी से करवा पाएगा:
यहीं नहीं एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से इस संबध में निगम को भी पत्र लिखे जिसमें इस राशि को कम करने का हवाला दिया गया. नगरीय विकास कर के बकाया राशि की बात की जाए तो इसमें सरकारी विभागों के नाम पर लिस्ट में शामिल है जिनमें सवाई मानसिंह स्टेडियम, आरसीए, जयपुर विकास प्राधिकरण, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आरयूएचएस सहित कई नाम शामिल है. निगम के बकायादारों से अगर 83 करोड़ की राशि जमा होती है तो निगम अपने क्षेत्र में विकास के कार्य आसानी से करवा पाएगा और आम जनता को भी सोहिलयत होगी, बहराल निगम अभी बेट एंड वॉच की स्थिति में है.