Jaipur News: फिर से जंगल में लौटेगी नन्ही लेपर्ड 'राधा' ! 4 महीने की मादा लेपर्ड की रिवाइल्डिंग की तैयारी

जयपुर: साढ़े चार महीने की मादा लेपर्ड शावक 'राधा' वो पहली भाग्यशाली लेपर्ड हो सकती है जिसकी रिवाइल्डिंग की जा सकती है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन ने विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखा है कि राधा की रिवाइल्डिंग की जानी चाहिए ताकि इसे प्राकृतिक आवास मिले और जीवन पार्क के किसी एनक्लोजर में न बिताना पडे़. 

दरअसल, करौली के बिसोरी गांव से 5 सितंबर को लेपर्ड के मादा शावक रेंज अधिकारी विक्रम मीणा ने रेस्क्यू किया था. यह नन्हा शावक अपनी मां से पिछड़ गया था और इसे तत्काल रेस्क्यू नहीं किया जाता तो इसकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी. इस शावक को रेस्क्यू कर जयपुर नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में लाया गया. यहां वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर की देखरेख में इस मादा शावक को नियो केयर सेंटर में रखा गया. अमेरिका से विशेष औषधीय दूध मंगाया गया. अन्य दवाएं देकर इस नन्हें शावक को नई जिंदगी दी गई. 

खुद डॉ माथुर इस अपने हाथों से बोतल से दूध पिलाते. चूंकि इस मादा लेपर्ड शावक को राधा अष्टमी को रेस्क्यू किया गया था इसका नाम नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में आने के बाद 'राधा' रखा गया. देखते ही देखते राधा एकदम स्वस्थ भी हो गई. इसके बाद रेस्क्यू सेंटर में ही इसकी रिवाइल्डिंग के लिए राधा को जंगल में सर्वाइवल की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. हालांकि लेपर्ड को शिकार करना, हर मौसम में खुद को ढालना, गंध पहचानना जैसी शक्तियां कुदरती प्राप्त होती हैं... लेकिन ये सभी गतिविधियां एक शावक को उसकी मां से सीखने को मिलती हैं. 

महज 10-15 दिन की उम्र में ही मां से बिछड़ गई थी:
राधा का दुर्भाग्य यह रहा कि वो महज 10-15 दिन की उम्र में ही मां से बिछड़ गई थी. ऐसे में यह जरूरी हो गया था कि राधा को यह सब रेस्क्यू सेंटर में ही सीखने को मिले. यह काम डॉ अरविंद माथुर और रेस्क्यू सेंटर की टीम ने बखूबी किया. बहरहाल राधा अब गुर्राने भी लगी है, शिकार भी कर सकती है और पेड़ पर चढ़ने में तो उसका कोई सानी नहीं. अब चुनौती यह है कि राधा को वापस जंगल में प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाए. अभी देखने में यही आया है कि जिन लेपर्ड शावकों को रेस्क्यू कर यहां लाया गया है उन्हें जंगल दोबारा नसीब नहीं हुआ, शिवा नाम के लेपर्ड शावक की तो इसी कारण रेस्क्यू सेंटर में ही मौत हो गई थी. 

शिवा को भी रायसर से महज 7 दिन की उम्र में लाया गया था:
शिवा को भी रायसर से महज 7 दिन की उम्र में लाया गया था, इलाज किया और शिवा ठीक भी हो गया लेकिन रिवाइल्डिंग न करने की वजह से उसकी करीब एक वर्ष की अवस्था में मौत हो गई थी. इसलिए जरूरी है कि वन प्रशासन राधा को जंगल में छोड़े ताकि वह अपना जीवन नैसर्गिक आवास में बिताए. इसके लिए जरूरी है कि वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जल्द नीति तैयार कर विशेषज्ञों की एक टीम बनाएं जो राधा की रिवाइल्डिंग तो सफलता पूर्वक करें ही साथ ही इस तरह के भविष्य में किए जाने वाले रेस्क्यू में भी लाए गए नन्हें शावकों की रिवाइल्डिंग का एक तकनीक सम्मत रोडमैप तैयार करें.