जयपुरः जयपुर विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश भर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इस लापरवाही के चलते प्रदेश में बड़ी तादाद में लोग जेडीए की ओर से हाल ही घोषित आवासीय योजनाओं में आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.आखिर क्या है पूरा मामला.
जेडीए की ओर से हाल ही घोषित कालवाड़ रोड पर अटल विहार और गोविंदपुरा रोपाड़ा स्थित गोविंद विहार आवासीय योजनाओं के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं. जेडीए की वेबसाइट पर ही ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की गई है. आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी,योजनाओं में भूखंड आंवटन के लिए पात्र और भूखंड आवंटन के क्या नियम होंगे, इसको लेकर जेडीए ने आवेदन के साथ ऑनलाइन ही बुकलेट भी जारी की है. लेकिन जेडीए के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस बुकलेट में वर्तमान में लागू नियमों के बजाए पूर्व में लागू नियमों को ही हवाला दिया गया है. इस गफलत के चलते प्रदेश भर में कई लोग इन योजनाओं में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन के पात्र ही नहीं हैं. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इन योजनाओं के लिए जारी बुकलेट में ऐसी क्या गफलत की गई है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग इनमें आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.
-इन दोनों योजनाओं में आवेदन के लिए जारी बुकलेट के क्रम संख्या 3 "आवेदन की पात्रता" के बिंदु 3.4 के अनुसार
-जिस व्यक्ति का स्वयं एवं उसकी पत्नी/पति अथवा आश्रित के पास भूखंड या मकान है
-प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी के शहर में भूखंड या मकान है
-वह व्यक्ति इन योजनाओं में भूखंड आवंटन के आवेदन नहीं कर सकेगा
-और जो भी व्यक्ति इस दायरे से बाहर होंगे वे ही इन योजनाओं के लिए आवेदन कर पाएंगे
-लेकिन ऐसे व्यक्ति को यह शपथ पत्र देना होगा कि
-उसका स्वयं उसकी पत्नी/पति अथवा आश्रित के पास 1 लाख से अधिक आबादी के शहर में भूखंड या मकान नहीं हैं
-इस शपथ पत्र का प्रारूप भी इसी बुकलेट में डाला गया है
-जेडीए सहित प्रदेश भर के विभिन्न निकायों में भूखंडों का आवंटन राजस्थान शहरी भूमि निस्तारण नियम 1974 के तहत किया जाता है
-इन नियमों में राज्य सरकार के नगरीय विकास विभाग ने 4 जनवरी 2021 को अधिसूचना जारी कर बदलाव किया था
-इसके लिए जारी अधिसूचना में इसमें शामिल नियम 10 को बदल दिया गया है
-नियम 10 में 1 लाख से अधिक आबादी के शहर में भूखंड या मकान होने पर निकाय की योजना में भूखंड आवंटन नहीं करने के प्रावधान को हटा दिया है
-चार साल पहले जिस प्रावधान को हटा दिया गया जो प्रावधान वर्तमान में लागू नहीं हैं
-उसी प्रावधान को जेडीए की हाल ही घोषित योजनाओं की बुकलेट में डाल दिया गया है
योजनाओं में भूखंड आवंटन के लिए बुकलेट में पुराना नियम को शामिल करना यह बताता है कि मात्र दस पेज की बुकलेट को तैयार करने के मामले में जेडीए के जिम्मेदार अधिकारियों ने कितनी गंभीरता दिखाई. इन अधिकारियों की इसी बेफिक्री का खामियाजा प्रदेश भर के कई लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन योजनाओं की बुकलेट में यही बड़ी खामी नहीं है. इसके अलावा भूखंड पर निर्माण अवधि को लेकर भी बुकलेट में पुराने नियमों हवाला दिया गया है.
-प्रदेश भर में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जिनके एक लाख से अधिक आबादी के शहर में स्वयं के नाम या
-उनकी पत्नी/पति अथवा उनके आश्रित के नाम पहले से कोई भूखंड या मकान हैं
-ऐसे में ये लोग जब जेडीए की वेबसाइट पर आवेदन के लिए इस बुकलेट को देखते हैं
-भूखंड या मकान पहले से होने के बुकलेट में शामिल नियम को पढ़कर मायूस हो जाते हैं
-इस नियम के चलते ये लोग जेडीए की इन योजनाओं के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं
-इसके अलावा भी योजनाओं की बुकलेट में कई गलतियां हैं
-बुकलेट के क्रम संख्या 10 ''अन्य महत्वपूर्ण शर्तें''के बिंदु 10.3 के अनुसार
-"आवंटी को भूखंड आवंटन के 5 साल में करना होगा भवन निर्माण"
-"निर्धारित अवधि में मकान नहीं बनाने पर आवंटन निरस्त माना जाएगा"
-जबकि इस नियम में भी पहले ही बदलाव किया जा चुका था
-राजस्थान भूमि निस्तारण नियम 1974 में 17 सितंबर 2021 को किया था बदलाव
-इसके लिए UDH ने अधिसूचना जारी कर नियम 17(6)A में बदलाव किया था
-इसके मुताबिक भूखंड का कब्जा मिलने से 7 साल में निर्माण कराना जरूरी होगा
-7 साल में भूखंड पर निर्माण नहीं करने पर आवंटन स्वत:निरस्त माना जाएगा
-नियमों में साढ़े तीन साल पहले ही बदलाव किया जा चुका था
-इसके बावजूद जेडीए के अधिकारियों की लापरवाही के चलते पुराने नियमों को बुकलेट में डाल दिया गया.