कारसेवकों ने साझा की विवादित ढांचा गिराने के दौरान की यादें, 6 दिसम्बर को विवादित ढांचा तोड़ने के लिए गुम्बद पर चढ़े, शाम 6.30 बजे तक ढहा दिया, फिर की राम आरती

जैसलमेर : अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया है. 22 जनवरी को इस मंदिर को दर्शनों के लिए खोल दिया जाएगा. फिलहाल देश के कोने-कोने से रामलल्ला के दर्शनों के लिए लोग पहुंचने को बेताब है. आज लोगों में राम मंदिर को लेकर गजब का उत्साह है. कुछ ऐसा ही उत्साह करीब 30 साल पहले भी था. 

जब अयोध्या में विवादित ढांचे को तोड़ने के लिए जैसलमेर से कारसेवक रवाना हुए. जैसलमेर से दो चार 1990 व 1992 में कार सेवा के लिए कारसेवक स्वाना हुए. पहली बार 1990 से रवाना हुए सभी कारसेवक अयोध्या पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए. इसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया. फिर वापस जैसलमेर भेज दिया गया. इसके वाद 1992 में एक बार फिर कारसेवा के लिए कारसेवक रवाना हुए. पिछली बार गिरफ्तारी होने के कारण इस बार प्लानिंग से काम किया गया. 

1992 में कार सेवा के लिए 6 दिसंबर को तारीख तय की गई. जिस पर अधिकांश कारसेवक 30 नवंबर से पहले ही अयोध्या पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने 6 दिसंबर को विवादित ढांचे को गिराने के बाद वापस जैसलमेर आ गए. इसी बीच जैसलमेर के पदम सिंह लौद्रवा मिल रूप से लौद्रवा से फर्स्ट इंडिया ने ख़ास बातचीत. उन्होंने बताया की 1992 में अयोध्या जाने के लिए में बाड़मेर के गडरा रोड से 6 कारसेवकों के दल में शामिल था. हम 26 नवंबर को अयोध्या पहुंच गए थे. इसके बाद पूर्व में तय अनुसार 6 दिसंबर को विवादित ढांचे को गिरा दिया गया. उसमें मैं भी शामिल था. 

6 दिसंबर को उस जगह करीब 5-6 लाख लोग थे. हमें मना कर दिया गया कि लोहे की तारों व एंगलों को हाथ मत लगाना, इसमें करंट छोड़ा गया है. हमने सभी एंगल व तारों को तोड़ दिया. इसके बाद मैं गुंबद पर चढ़ गया. इस दौरान कई लोग घायल भी से हुए. शाम करीब 6.30 बजे विवादित ढांचे को गिरा दिया गया. मैं अपने दल के बाद सुबह देरी पहुंचा तो उन लोगों ने मुझे मृत भी मान लिया था. जिससे मेरे वहां पहुंचने पर मुझे गले लगाकर सभी रो दिए. इसके बाद हमने भगवान राम की आरती की.