जयपुर: सीढ़ियां बनाते समय किसी भी इमारत या भवन में यदि वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो उस स्थान पर रहने वाले सदस्यों के लिए यह कामयाबी और सफलता की सीढ़ियां बन सकती हैं. बस इतना सा आप समझ लें कि सीढ़ियों से ही प्राणिक ऊर्जा ऊपरी मंजिल तक पहुंचती है. वास्तु में सीढ़ियों का विशेष महत्व होता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से के लिए नियम बनाए हैं, जिनसे परिवार में प्रेम भाव बना रहता है और समृद्धि भी घर आती है. वहीं अगर वास्तु दोष होता है तो कितनी भी मेहनत कर लें उसका फल पूरा नहीं मिलता है. इससे अवसाद और मानसिक तनाव बढ़ जाता है. इसलिए हर इंसान चाहता है कि उसके घर में किसी भी तरह का कोई वास्तु दोष ना हो. घर के वास्तु में सीढ़ियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. सीढ़ियां घर में नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा भी लाती हैं और इसका सीधा असर घर में रहने वाले लोगों पर पड़ता है.
ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भवन के दक्षिण-पश्चिम यानि कि नैऋत्य कोण में सीढ़ियां बनाने से इस दिशा का भार बढ़ जाता है जो वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए इस दिशा में सीढ़ियों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है. दक्षिण या पश्चिम दिशा में इनका निर्माण करवाने से भी कोई हानि नहीं है. अगर जगह का अभाव है तो वायव्य या आग्नेय कोण में भी निर्माण करवाया जा सकता है , परन्तु इससे बच्चों को परेशानी होने की सम्भावना होती है. घर का मध्य भाग यानि कि ब्रह्म स्थान अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है अतः भूलकर भी यहां सीढ़ियों का निर्माण नहीं कराएं अन्यथा वहां रहने वालों को विभिन्न प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि ईशान कोण की बात करें तो इस दिशा को तो वास्तु में हल्का और खुला रखने की बात कही गई है अतः यहां सीढ़ियां बनवाना अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो सकता है. ऐसा करने से पेशेगत दिक्कतें, धनहानि या कर्ज में डूबने जैसी समस्याएं सामने आती हैं. बच्चों का करिअर बाधित होता है. शुभ फल की प्राप्ति के लिए ध्यान रहे कि सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे -5 ,7 ,9 ,11 ,15 , 17 आदि.
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि सीढ़ियों के शुरू और अंत में दरवाजा होना वास्तु नियमों के अनुसार होता है लेकिन नीचे का दरवाज़ा ऊपर के दरवाज़े के बराबर या थोड़ा बड़ा हो. इसके अलावा एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी का अंतर 9 इंच सबसे उपयुक्त माना गया है . सीढ़ियां इस प्रकार हों कि चढ़ते समय मुख पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा की ओर हो और उतरते वक्त चेहरा उत्तर या पूर्व की ओर हो.
ऐसा कभी न करें
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि सीढ़ियों के नीचे किचन, पूजाघर, शौचालय, स्टोररूम नहीं होना चाहिए अन्यथा ऐसा करने से वहां निवास करने वालों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जहां तक हो सके गोलाकार सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए. यदि आवश्यक हो तो, निर्माण इस प्रकार हो कि चढ़ते समय व्यक्ति दाहिनी तरफ मुड़ता हुआ जाए अर्थात क्लॉकवाइज़. खुली सीढ़ियां वास्तुसम्मत नहीं होतीं अतः इनके ऊपर शेड अवश्य होना चाहिए. टूटी-फूटी,असुविधाजनक सीढ़ी अशांति और गृह क्लेश उत्पन्न करती हैं. सीढ़ियों के नीचे का स्थान खुला ही रहना चाहिए ऐसा करने से घर के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है.
सीढ़ी की सही दिशा
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि घर में सीढ़ी बनाते समय सबसे जरूरी है. उसकी सही दिशा वास्तु अनुसार घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में सीढ़ी बनवाना अत्यंत शुभ माना जाता हैं. यदि किसी कारणवश यह संभव नहीं हो पाए तो आप पश्चिम, नैर्ऋत्य, मध्य दक्षिण, वायव्य में भी सीढ़ी बनवा सकते हैं. कोशिश करें कि सीढ़ी की शुरुआत उत्तर दिशा से होकर दक्षिण दिशा में खत्म हो.
यहां बिल्कुल न बनवाएं सीढ़ी
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्सर लोग घर बनवाते समय अपने अनुसार तमाम चीजों का डिजाइन बनवाते हैं. ऐसे में अक्सर वास्तु ज्ञान के बगैर ही वे अपने सीढ़ी आदि का निर्माण करवा लेते हैं, जिससे उत्पन्न दोष का नकारात्मक उन पर पड़ने लगता है.. वास्तु के अनुसार घर के ईशान कोण या ब्रह्म स्थान पर कभी भी सीढ़ी नहीं बनवानी चाहिए. माना जाता है कि इस स्थान पर सीढ़ी बनवाने से घर मे दरिद्रता आती है.
सीढ़ी की संख्या
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्सर लोग अपने घर में अच्छी डिजाइन और बेहतर लुक को पाने के लिए अक्सर घुमावदार सीढ़ी बनवाते हैं, जो वास्तु अनुसार अशुभ मानी जाती है. कोशिश करें कि सीढ़ी जहां से शुरू हो रही है जहां खत्म हो रही है, दोनों ओर दरवाजा बना हो. वास्तु के अनुसार डिजाइन एवं दिशा के अलावा सीढ़ी की संख्या भी मायने रखती है. कोशिश करें कि सीढ़ी विषम संख्या में ही हो जैसे – 5,7,9,11,15,17 आदि.
सीढ़ी के नीचे इन बातों का रखें ध्यान
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्यादातर लोग घर में बनी सीढ़ी के नीचे के खाली स्थान को सामान से भर देते हैं. वास्तु अनुसार इस स्थान को हमेशा खाली रखना चाहिए. सीढ़ी के नीचे किचन, बाथरूम या पूजाघर कभी भूलकर भी न बनाएं. वास्तु अनुसार ऐसा करने से घर में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं.
सीढ़ी से जुड़े वास्तु दोष का उपाय
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि यदि वास्तु के अनुरूप आप के घर में सीढ़ी नहीं बनी है तो उसे दूर करने के लिए आप स्वास्तिक से जुड़ा अचूक उपाय कर सकते हैं. वास्तु के अनुसार सीढि़यों के साथ वाली दीवार पर रोली से स्वस्तिक बनाने से वहां पर स्थित वास्तु दोष दूर हो जाता है. यदि आप ने सीढ़ी के नीचे कुछ गलत चीज का निर्माण करवा दिया है तो इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए वहां तुलसी का पौधा रखें.