जयपुरः रणथंभौर में पिछले दो दिन से एक प्रेम कथा ने सभी वन्यजीव प्रेमियों को हैरत में डाल दिया है. बाघ टी 108 और बाघिन टी 127 की इस प्रेम कथा में इस प्रेमी जोड़े ने अपनी टेरिटरी की सीमाएं लांघ जान दांव पर लगा दी है. जोन 10 के बाघ और जोन 6 की बाघिन के बीच के इस रोमांस पर एक खास खबर.
वैसे तो कई बार टाइगर को मेटिंग करते देखा जाता है, पर कभी कभी कुछ ऐसा दिखता है जिसे देखके ये बोला जा सकता की जानवरों को भी प्यार हो सकता इंसानों की तरह. ऐसा ही एक नजारा कल से रणथंभौर के जंगल में देखने को मिला. इस प्रेम कथा का सबसे पहले पता लगाने वाले वाइल्डलाइफर अभिषेक चौधरी की जुबानी ही खबर को आगे बढ़ाते हैं. अभिषेक कहते हैं 'मैं बात कर रहा हूं टाइगर 108 की जोकि जोन 10 का नर बाघ है. इसका पिता टी 34 और मां टी 8 यानी लाडली है. इसका जन्म फरवरी 2017 में हुआ था. अब आते है इस दिलचस्प कहानी की और, पिछले कुछ महीनों से टी 108 अपने जोन 10 से जोन 6 की ओर जाता था पर काफी कम जाता था. पर उस दौरान उसकी मुलाकात वहां की मादा टाइगर टी 127 से हुई होगी पर ये वहां के नर बाघ 139 के कारण वहां कभी रुका नहीं और कम जाने लगा. पर मोहब्बत कहां कुछ देखती. 16 जून को टी 108 देर रात्रि जोन 6 की ओर गया और सुबह 3:50 बजे वापस जोन 10 पे मादा 127 को लेके आया जोकि पहली बार जोन 10 में आई. दोनों साथ साथ माला के चाटे तक साथ गए, पर वहां से कुछ ही दूरी बासखोरी पर वहां की मादा टी 99 शिकार खा रही थी जिसकी खुशबू 127 को आ गई. करीब दो घंटे साथ रहने के बाद मादा टी 127 सुबह 5:50 बजे जोन 10 से जोन 6 पे वापस चली गई. ये सभी फोटो कैमरा ट्रेप में दर्ज हो गए.
इसके बाद टी 108 कल यानी 17 जून को दिनभर मेटिंग रौर करता रहा यानी बाघिन टी 127 को पुकारता रहा और तड़पता रहा पर उसे निराशा ही हाथ लगी. शाम में उसे ढूंढते हुए तलाई की और आया वहां भी उसे नई पाया तो उदास होके वहीं बैठ उसे पुकारता रहा. काफी इंतजार के बाद टी 108 देर रात्रि दोबारा जोन 6 की और गया और सुबह होने से पहले रात्रि 1:47 बजे वापस अपनी महबूबा को जोन 10 में तलाई पर ले आया. उस वक्त से दोनों प्रेमी अब तक साथ ही अपने प्रेम में खोए हुए है. वन्यजीवों में ऐसा नजारा बहुत ही कम देखने मिलता है. अभिषेक बताते हैं कि 'सबसे दिलचस्प बात ये की दोनों सौतेले भाई बहन है. दोनों की मां टी 8 है पर 108 का पिता टी 34 है और टी 127 का पिता टी 58 है.' वन्यजीव प्रेमी इस प्रेम कथा को लेकर काफी उत्साहित हैं. सामान्यतया बाघ एक दूसरे की टेरिटरी में जाने से बचते हैं लेकिन टी 108 और टी 127 ने प्यार में टेरिटरी की परवाह नहीं की.