नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक 26 वर्षीय कैब ड्राइवर को फर्जी पासपोर्ट और सिंगापुर के लिए अध्ययन वीजा प्राप्त करने के लिए अपने 22 वर्षीय भाई के दस्तावेजों में हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. छोटे भाई द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तारी की गई.
बड़गांव पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले मिर्ज़ापुर गांव के निवासी और आरोपी सचिन राणा ने विदेश में पढ़ाई करने का मन बना लिया था, लेकिन उनके शैक्षणिक अंतराल के वर्षों (2013 में 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद) ने उनके लिए वैध रूप से वीजा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण बना दिया था. अप्रैल 2022 में, सचिन ने नकली पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए अपने भाई गौतम की साख का उपयोग किया और बाद में सिंगापुर के लिए अध्ययन वीजा हासिल किया. फिर वह जून 2022 में सिंगापुर के लिए रवाना हुए.
सिंगापुर के कॉलेज में लिया प्रवेश:
सहारनपुर में एसपी (ग्रामीण) सागर जैन के अनुसार, सचिन ने 2022 की शुरुआत में एक विदेशी शिक्षा सलाहकार से संपर्क किया, जिसने गौतम के जाली दस्तावेजों का उपयोग करके सिंगापुर में ट्रेंट ग्लोबल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में उसके प्रवेश की सुविधा प्रदान की.
पैसों की कमी के कारण लौटे भारत:
सचिन ने एक डिप्लोमा कार्यक्रम में दाखिला लिया था, लेकिन शुल्क की अंतिम किस्त के भुगतान में चूक के कारण केवल छह महीने बाद ही वापस लौट आया. उन्होंने कुछ पैसे कमाने के लिए एक स्थानीय बार में काम करने की कोशिश की लेकिन वह काम नहीं आया. अंततः वह उसी वर्ष दिसंबर में भारत लौट आए.
मार्च में आया फर्जीवाड़ा सामने:
यह फर्जीवाड़ा इसी साल मार्च में पकड़ा गया जब गौतम ने दुबई जाने के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया. लेकिन, हैरानी की बात यह रही कि उनके नाम से पासपोर्ट पहले ही जारी किया जा चुका था. इससे उसके मन में संदेह पैदा हो गया. उन्होंने गाजियाबाद में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को धोखाधड़ी की सूचना दी और मामला सहारनपुर पुलिस को भेजा गया.
सहारनपुर लोटते समय किया गिरफ़्तार:
सचिन के खिलाफ मई में धोखाधड़ी, मूल्यवान दस्तावेजों की जालसाजी और वास्तविक दस्तावेजों के फर्जी उपयोग से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हाल ही में सचिन को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह किसी काम से सहारनपुर लौटा था.