कोटाः कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में छिङी एक नयी जंग का आज विस्तार हो गया हैं और ये जंग हैं-कुपोषण और बढते शिशु मृत्युदर के मामलों के खिलाफ और आगे आकर इस जंग की अगुआई कर रहे हैं स्थानीय सांसद और लोकसभा के स्पीकर ओमबिरला. आपको बताते हैं कि किस तरह से कुपोषण के खिलाफ सुपोषण नाम-की इस जंग का कोटा-बूंदी में बीजारोपण हुआ और किस तरह से नवजात पौधे से एक वृक्ष की तरह फैलती इस गैर सरकारी मुहिम ने सरकारी अभियानों से भी बेहतर परिणाम लाकर सामाजिक कल्याण और लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार करके दिखाया.
कोटा शहर की श्यामनगर की आशा से लेकर शिवपुरा की चिंकी तक सुपोषण से पोषित होकर स्वस्थ हुई मांओ की तादाद यहां सैकड़ों से शुरु होकर हजारों तक पहुंच गयी हैं और इलाके में प्रसव के ठीक बाद होने वाली नवजातों की मौतों और गर्भवतियों की प्रसूता मृत्युदर के मामलों में भी सुपोषित मां अभियान ने एक चमत्कारिक सुधार लाकर दिखाया हैं. इस अभियान के शिल्पकार कोटा-बूंदी सांसद ओमबिरला हैं, जिन्होंने कुछ साल पहले इस अभियान को तब हाथ में लिया था, जब कोटा के जेकेलोन अस्पताल में 2 दिनों में ही 10 शिशुओं की मृत्यु हो गयी और तब एक साथ इतनी नवजातों की मौतों पर पूरे प्रदेश में हंगामा खड़ा हो गया था, लेकिन चिकित्सकीय अनुसंधान में मोटे तौर पर इन मौतों के पीछे गर्भवती मांओं में पोषण की कमी एक बड़ा कारण निकलकर आया और कुपोषण की शिकार माताओं के पेट से पैदा कई नवजात या तो प्री-मैच्योर कमजोर बेबी के रुप में पैदा हुये या जन्मजात विकृतियों का शिकार होकर सर्वाइव ही नहीं कर सके. और त्रासदी के शिकार ऐसे ही परिवारों के बीच जब बिरला पहुंचे तो वहीं से उनके मन में एक अभियान का विचार आया और इसी विचार को सुपोषित मां अभियान के रुप में साकार होते देखा गया जब फरवरी 2020 में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ कोटा में बिरला ने इस अभियान की नींव रखी.
अब 15 हजार माताओं तक पहुंचः
पहले चरण में कोटा और आसपास की कच्ची बस्तियों में 5 हजार गर्भवती मांओ और किशोरियों की स्क्रिनिंग के बाद एक हजार कुपोषित मामलों को चयनित किया गया और इन्हे अभियान के तहत गैर सरकारी स्तर पर 9 माह तक के क्लिनिकली टेस्टेड पोषक फूड पैकेट्स निशुल्क वितरित किये गये, जिसमें आयरन-प्रोटीन-विटामिन-कैल्शियम समेत गर्भवती मां के लिये आवश्यक सभी पोषक तत्वों से समाहित खाद्द पदार्थ शामिल किये गये थे. गर्भवती महिलाओं को कुपोषण के खिलाफ लङाई में इस अभियान से बङा सहारा मिला और स्वस्थ शिशु जन्म के नतीजों से आये उत्साह के बाद अभियान व्यापक होकर अब 15 हजार माताओं तक पहुंच की यात्रा कर चुका हैं. खासकर कोटा-बूंदी की कच्ची बस्तियों में कुपोषण की शिकार अभावग्रस्त परिवारों की ऐसी गर्भवती माताओं को चिन्हित करने के लिये अभियान के साथ जुङी सामाजिक कार्यकर्ता घर-घर और गली-गली सर्वे कर रही हैं. और अब सकारात्मक नतीजे देने वाला ये सुपोषण अभियान अपने तीसरे चरण में दाखिल हो गया हैं. इसके साथ ही इस अभियान के शिल्पकार बिरला ने प्री से लेकर पोस्ट डिलिवरी तक मातृ-शिशु स्वास्थय ट्रेकिंग और सभी तरह की जॉचों को जोङकर इस अभियान का कलेवर और भी बड़ा कर दिया हैं.
पूरे कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र तक फैल चुका अभियानः
विशेषज्ञ डॉक्टर्स और न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह पर गर्भवती महिलाओं के लिए 12.5 कि.ग्रा. के इस पोषण किट को भी लगातार ज्यादा सुपोषित करने पर काम हो रहा हैं. अब गर्भवती माताओं को प्रति माह दिये जाने वाले इस किट में 1 कि.ग्रा. देसी घी के मूंग के लड्डू , 3 कि.ग्रा. गेहूं का आटा, 1 कि.ग्रा. मक्का का आटा, 1 कि.ग्रा. बाजरा का आटा, 1 कि.ग्रा. चावल, 500 ग्राम सोयाबड़ी, 300 ग्राम मूंग छिलका, 300 ग्राम चना दाल, 300 ग्राम मूंग दाल मोगर, 300 ग्राम उड़द दाल छिलका, 1 कि.ग्रा. गुड़, 500 ग्राम मूंगफली दाना, 500 ग्राम भुना चना, 500 ग्राम पिंड खजूर व 1 कि.ग्रा. खाद्य तेल शामिल करके स्पेशळ सुपोषण किट तैयार किये जा रहे हैं. अपने आरंभ के समय किये गये ऐलान के मुताबिक कोटा शहर की कच्ची बस्तियों से शुरु होकर ये अभियान अब पूरे कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र तक फैल चुका हैं और इस गैर सरकारी मुहिम से स्पीकर ओमबिरला की प्रेरणा से अब कई स्वयंसेवी संस्थाएं और सामाजिक संगठन भी जुङ गये हैं--नारा सभी का एक हैं--कुपोषण से ना किसी नवजात को मरने देंगे और ना किसी प्रसूता की जान जाने देंगे.