नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के 246 किलोमीटर लंबे दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड का उद्घाटन करेंगे. एक्सप्रेस-वे के इस खंड के शुरू होने से राष्ट्रीय राजधानी से जयपुर तक का यात्रा समय पांच घंटे से घटकर लगभग साढ़े तीन घंटे होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का यह पहला पूर्ण खंड पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा. मोदी दौसा से 18,100 करोड़ रुपये से अधिक की सड़क विकास परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे और बेंगलुरू के वायुसेना स्टेशन, येलहंका में एयरो इंडिया 2023 के 14वें संस्करण का उद्घाटन करने के लिए सोमवार को कर्नाटक जाएंगे.
बीच यात्रा समय में 50 प्रतिशत की कमी आएगी:
पीएमओ ने कहा कि "न्यू इंडिया" में विकास और सम्पर्क के इंजन के रूप में उत्कृष्ट सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण पर मोदी का जोर देश भर में चल रहे कई विश्व स्तरीय एक्सप्रेस-वे के निर्माण से महसूस किया जा सकता है. 1,386 किलोमीटर की लंबाई वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा. यह दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा की दूरी को 12 प्रतिशत घटाकर 1,424 किलोमीटर से 1,242 किलोमीटर कर देगा. इससे दोनों महानगरों के बीच यात्रा समय में 50 प्रतिशत की कमी आएगी.
आर्थिक परिवर्तन में एक प्रमुख योगदान देगा:
दिल्ली से मुंबई जाने में वर्तमान में 24 घंटे का समय लगता है लेकिन इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद इसको पूरा करने में करीब 12 घंटे लगेंगे. यह एक्सप्रेस-वे छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा और कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ेगा. पीएमओ ने कहा कि इसका सभी निकटवर्ती क्षेत्रों के विकास पथ पर एक उत्प्रेरक प्रभाव पड़ेगा और इस प्रकार यह देश के आर्थिक परिवर्तन में एक प्रमुख योगदान देगा.
विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने पर केंद्रित:
कार्यक्रम के दौरान, मोदी 5,940 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली 247 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे. बेंगलुरु में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बारे में, पीएमओ ने कहा कि एयरो इंडिया 2023 का विषय "द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज" है. मोदी के "मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड" के दृष्टिकोण के अनुरूप, यह कार्यक्रम स्वदेशी उपकरणों, प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने और विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने पर केंद्रित होगा.
भविष्य की प्रौद्योगिकियों में प्रगति को प्रदर्शित करेगा:
भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर प्रधानमंत्री के जोर को भी प्रदर्शित किया जाएगा, क्योंकि यह कार्यक्रम डिजाइन नेतृत्व में देश की प्रगति तथा यूएवी क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में प्रगति को प्रदर्शित करेगा. पीएमओ ने कहा कि इसके अलावा, यह कार्यक्रम हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) -तेजस, एचटीटी -40, डोर्नियर लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) जैसे स्वदेशी हवाई प्लेटफार्म के निर्यात को बढ़ावा देगा.
800 से अधिक रक्षा कंपनियां भाग लेंगी:
यह आयोजन घरेलू सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्टार्ट-अप को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने और सह-विकास एवं सह-उत्पादन के लिए साझेदारी सहित विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी मदद करेगा. पीएमओ ने कहा कि एयरो इंडिया 2023 प्रदर्शनी में लगभग 100 विदेशी और 700 भारतीय सहित 800 से अधिक रक्षा कंपनियां भाग लेंगी. सोर्स-भाषा