जयपुर: राजस्थान की पहली स्वर्ण खदान ने खनन शुरू हुए बिना ही नीलामी में उच्च बोली लगा कर इस खदान को आने नाम करने वाले सैयद औवेस अली के लिए करोड़ों उगलना शुरू कर दिया है.बिना एलओआई के औवेस मेटल ने गोल्ड माइन को अपना बता अपने शेयरों के दाम बढ़ा लिए. इस मामले का खुलासा होने के बाद खान विभाग विभाग हरकत में आया है. पूरे मामले में खान विभाग को धेला भी नहीं मिला और कंपनी करोड़ों का कमा गई.
ऑस्ट्रेलिया की मिनरल कंपनी ने लगाया स्वर्ण खदान में अड़ंगा:
-इस कंपनी ने किया था स्वर्ण अयस्क सर्वेक्षण का कार्य
-फिर वर्ष 2012 में हाईकोर्ट में खदान में खनन अधिकार को लेकर कंपनी गई हाईकोर्ट
-पिछले वर्ष हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के हक में दिया फैसला
-अब 17 मई को खान विभाग ने की खदान की ऑनलाइन नीलामी
-रतलाम की फर्म सैयद ओवैस अली ने रिजर्व प्राइस की 65.30 फीसदी लगाई बोली
-22 जून 2024 को फर्म को प्रिफर्ड बिडर किया गया घोषित
-5 जुलाई 2024 को खान विभाग में 100 करोड़ की पहली किस्त जमा कराई
-राज्य सरकार को एलओआई मंजूरी के लिए 15 जुलाई 2024 को भेजा प्रस्ताव
-एलओआई क्षेत्र में 6.2703 हेक्टेयर चरागाह भूमि
-606.2817 वन भूमि और 2.3428 आबादी भूमि
-खदान का कुल क्षेत्र है गनोड़ा और घाटोल की 940.26 हैक्टेयर भूमि
-अब ऑस्ट्रेलियाई कंपनी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण पहुंची
-भारत सरकार पूरे मामले में रखेगी अपना पक्ष
-ऐसे में प्रदेश की पहली स्वर्ण खदान में स्वर्ण अयस्क खनन कार्य शुरू होने में लग सकता लंबा समय
-इधर बिना खनन शुरू किया ही सैयद ओवैस अली की फर्म ओवैस मेटल के शेयर में आया भारी उछाल
-ऐसे में स्वर्ण खदान होने के बावजूद राज्य को नहीं मिल रहा उसका फायदा
इन दिनों खनन व्यवसायियों में बांसवाड़ा के जगपुरा-भूकिया गोल्ड ब्लॉक को लेकर एक खबर चर्चा में है. चर्चा है कि गोल्ड माइन शुरू होने से पहले ही सैयद ओवैस अली की कंपनी औवेस मेटल खेल कर गई. दरअसल प्रदेश की पहली भूकिया जगपुरा गोल्ड माइन की अभी सरकार ने LOI जारी नहीं की है. दरअसल ऑस्ट्रेलिया कंपनी इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में ले जा चुकी है. इधर सैयद ओवैस अली की फर्म ओवैस मेटल के शेयरों में इस गोल्ड माइन के चलते जबरदस्त उछाल आया. इस कंपनी के ठह महीने पहले तक शेयर की कीमत थी करीब 274 रुपए भी लेकिन लेकिन ऑक्शन में गोल्ड माइन आने के बाद कंपनी के शेयर 1569 रुपए तक पहुंच गए.
फिलहाल कंपनी के शेयर की रेट ₹1200 के आसपास चल रही है. शेयर विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी करीब हजार से दो करोड़ रुपए का मुनाफा कमा चुकी है. अब बड़ा सवाल यह है कि 'बिना एलओआई जारी हुए क्या कंपनी गोल्ड माइन पर अपने अधिकार जताने का हक रखती है या नहीं ? या फिर सोची समझी रणनीति के तहत गोल्ड माइन पर हक का प्रचार प्रसार किया गया ? क्या इस रणनीति से ही ओवैस मेटल के शेयरों में उछाल आया और कंपनी को करोड़ों का मुनाफा हुआ ? दरअसल खान विभाग को 100 करोड़ रुपए की पहली किस्त जमा करा कंपनी शेयर से कई सौ करोड रुपए कमा गई.
मामला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में होने से इस गोल्ड माइन की LOI जारी करना भी अभी संभव नहीं दिख रहा. पूरे मामले में तबादले के बाद भी निदेशक के पर पर डटे भगवती प्रसाद कलाल की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. इधर विशेषज्ञों का कहना है कि यदि LOI जारी नहीं हुई तो ये 100 करोड़ रुपए भी खान विभाग को कंपनी को वापस करने होंगे जबकि सोने की खदान में बिना खनन के ही ओवैस अली के हो गए वारे न्यारे हो गए. सैयद ओवैस अली को इस खदान के पेटे प्रदेश में 8000 करोड़ का निवेश करना था. अब मामला न्यायाधिकरण में अटकने से निवेश भी अटका, राजस्व भी अटका और सोना भी निकलना मुश्किल हो गया है.