लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा, पीएम मोदी बोले-'वंदे मातरम् महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक अवतार 

लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा, पीएम मोदी बोले-'वंदे मातरम् महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक अवतार 

नई दिल्ली: लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की. पीएम मोदी ने कहा कि 'वंदे मातरम् महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक अवतार है. अंग्रेजों ने 'बांटो और राज करो' का रास्ता चुना. अंग्रेज जानते थे कि बंगाल टूट गया तो देश टूट जाएगा. 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया, लेकिन उन्होंने जब ये पाप किया तो वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा. बंगाल की एकता के लिए ये गीत गली-गली का नाद बन गया था. अंग्रेजों ने वंदे मातरम पर कठोर कानून बनाया.

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर बहस गर्व की बात:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर बहस गर्व की बात' है. इस चर्चा में कोई ना पक्ष और ना कोई विपक्ष है. जिस मंत्र ने,जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी. त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था. उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना स सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है. वंदे मातरम् सिर्फ राजनैतिक आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था. अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाए, वंदे मातरम् सिर्फ इतने तक सीमित नहीं रहा. वंदे मातरम् अपनी मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्ति दिलाने का वो पवित्र जंग लड़ा. वेद काल में कहा गया है- ये भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूं.

वंदे मातरम् का स्मरण करना सौभाग्य की बात:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'हमने सामूहिक चर्चा की शुरुआत की'. ये चर्चा सरकार की प्रतिबद्धता दिखाएगी. वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को ऊर्जा दी. वंदे मातरम् ने त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया. वंदे मातरम् का स्मरण करना सौभाग्य की बात है. जब वंदे मातरम को 100 साल हुए तो काला कालखंड उजागर हुआ. देश को आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा गया.

वंदे मातरम् की शुरुआत 1875 में की थी बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने:
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि वंदे मातरम् की शुरुआत बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में की थी, यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी, भारत पर भांति-भांति के दबाव डाल रही थी, भांति-भांति के जुल्म कर रही थी.उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा था, ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ.