जयपुर: एक तरफ कांग्रेस का राज्य सरकार पर बिजली कुप्रबंधन को लेकर प्रहार जारी है तो दूसरी तरफ भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी राजेन्द्र राठौड़ से लेकर अन्य भाजपा नेताओं ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार को वित्तीय कुप्रबंधन पर घेरा है और दलील दी है कि पूर्ववर्ती सरकार की वजह से हालात ऐसे हुए हैं जिनमें भजन सरकार द्वारा सुधार जारी हैं.
बिजली तंत्र को लेकर पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार पर भाजपा के प्रहार
-भाजपा नेताओं की दलील लगतार जारी
-पूर्ववर्तीं सरकार ने विरासत में दिया जर्जर बिजली तंत्र
-बिजली की क़िल्लत का कारण प्रतिदिन 147 लाख यूनिट बिजली
-कांग्रेस सरकार के पूर्व बैंकिंग समझौते के तहत लौटानी पड़ रही
-बैंकिंग समझौता न होता तो आज प्रदेश में पर्याप्त बिजली उपलब्ध होती
-उत्पादन बढ़ाने, प्रसारण और वितरण के सुदृढ़ीकरण
-पर कांग्रेस सरकार ने नहीं दिया ध्यान
-बेहतर प्रबंधन से सुनिश्चित कर रहे निर्बाध विद्युत आपूर्ति
-बिजली कम्पनियों पर 1 लाख 39 हजार करोड़ से अधिक का ऋण भार
-कांग्रेस सरकार के समय एक्सचेंज से महंगी दरों पर बिजली खरीदी गई.
-गहलोत सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण हालात ऐसे
-राज्य के डिस्कॉम्स 88 हजार 700 करोड़ रुपए के ऋण के साथ दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए
-बिजली कम्पनियों पर 1 लाख 39 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण भार आ गया
-समय पर ऋण ना चुका पाने के कारण बिजली कम्पनियों पर 300 करोड़ रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई,
-जबकि वर्ष 2013 से 2018 की तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने उदय योजना से दी राहत
-कम्पनियों के 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज अपने ऊपर लेकर उन्हें ऋणभार से मुक्ति दिलाई
-भजन सरकार ने किए करीब 32 हजार मेगावाट के एमओयू
-भजन सरकार ने आते ही 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन पर किया फोकस
-विभिन्न परियोजनाओं सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए काम
-1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए हुए mou
-राज्य के 3 विद्युत निगमों एवं 6 केन्द्रीय उपक्रमों के बीच एमओयू किए
---अन्य राज्यों को लौटानी पड़ रही है बिजली---
पूर्ववर्ती सरकार ने बैंकिंग व्यवस्था के तहत वर्ष 2023 के सितम्बर माह में रबी सीजन की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अन्य राज्यों से बिजली लेने का करार किया
कांग्रेस सरकार के उस कर्ज को भजन सरकार चुका रही है
पूर्ववर्ती सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण प्रतिदिन 147 लाख यूनिट बिजली लौटानी पड़ रही है
कांग्रेस सरकार में कोयले की कमी से जूझता रहा प्रदेश
गहलोत सरकार के समय प्रदेश के थर्मल पॉवर स्टेशन कोयले की कमी से जूझ रहे थे
घटिया कोयले के कारण संयंत्रों को नुकसान पहुंचा
और इनके बार-बार मेंटेनेन्स की जरूरत पड़ रही है
सरकार भविष्य में प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं का भजन सरकार को ध्यान
ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने से लेकर प्रसारण एवं वितरण तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में समग्र रूप से कार्य
लगभग 32 हजार मेगावाट की बिजली उत्पादन परियोजनाओं के एमओयू सहित अन्य महत्वपूर्ण कदम राज्य सरकार ने उठाए
प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा
इस मुद्दे को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी के नेता अशोक गहलोत समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को जवाब देते हुए गहलोत पर लगातार प्रहार तो कर ही रहे हैं साथ ही दलील है कि गहलोत के कुप्रबंधन को सुधारने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही.