जयपुर: विधानसभा चुनाव की आचार संहिता अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह तक लगने की संभावना है. इससे पूर्व सभी मंत्रियों,दर्जा प्राप्त मंत्रियों और गणमान्य लोगों की यात्राओं और दौरों के बारे में कैबिनेट सचिवालय ने निर्देश जारी कर दिए हैं. इसमें आचार संहिता लगते ही जिन नियमों की पालना करनी चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए,इसे लेकर स्पष्ट किया गया है. निर्वाचन विभाग की ओर से विधानसभा चुनाव की पूर्व तैयारियों के रूप में कैबिनेट सचिवालय को मंत्रियों/ दर्जा प्राप्त मंत्रियों और गणमान्यों को आचार संहिता लगने के साथ किन- किन बिंदुओं की पालना करनी चाहिए, इस बारे में निर्देश जारी किए थे. इसकी पालना में कैबिनेट सचिवालय ने भारत निर्वाचन आयोग के आदर्श आचार संहिता के जारी मैन्यूअल की पालना करने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
इसके तहत उन्हें विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के साथ जो कदम उठाने होंगे, उसकी पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होते ही कोई भी मंत्री किसी विधानसभा क्षेत्र में राजकीय दौरा नहीं कर सकेगा. यदि लोक हित में मंत्री द्वारा ऐसा राजकीय दौरा करना जरूरी हो तो भारत सरकार के विभाग या मंत्रालय की ओर से मुख्य सचिव को पत्र भेजा जाएगा. साथ ही इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संबंधित मंत्री की ओर से संबंधित क्षेत्र में कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं की जाएगी.
ऐसे मौके पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी की सलाह मशविरा के आधार पर मुख्य सचिव तमाम तरह की व्यवस्थाओं पर निगाह रखेंगे. सामान्यत: जिस निर्वाचन क्षेत्र से मंत्री प्रत्याशी मंत्री हो तो वहां दौरा नहीं किया जाना चाहिए और ऐसे दौरे को राजकीय के बजाय निजी रखा जा सकता है. राजकीय दौरा राजनीतिक या निजी दौरे के साथ जोड़ी नहीं जानी चाहिए. साथ ही मंत्री को अपने चुनाव से जुड़े कार्य से अपना राजकीय कार्य नहीं जोड़ना चाहिए. इसी तरह आचार संहिता लागू होने के साथ ही संबंधित मंत्री / दर्जा प्राप्त मंत्री या गणमान्य को तुरंत अपना राजकीय वाहन छोड़ देना होगा.
केन्द्र या राज्य के मंत्री के चुनाव संबंधी दौरे पर होने पर संबंधित निर्वाचन क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित जिले में अगवानी या रिसीव करने या विदाई के लिए जिला प्रशासन या सरकार के कोई भी अधिकारी नहीं जाएंगे. साथ ही उन्हें किसी अधिकारी की ओर से प्रोटोकॉल नहीं दिया जाएगा. हालांकि ऐसे क्षेत्र या जिले में पीएम के चुनावी दौरे में डीजीपी,सभी रैंकों के पुलिस अधिकारी और जिला कलेक्टर को सुरक्षा संंबंधी इंतजाम कराने की मंजूरी है. मंत्री संबंधित क्षेत्र के किसी भी चुनाव से जुड़े अधिकारी को उसकी ऑफिस,गेस्ट हाउस या अन्य जगहों पर बुला नहीं सकेगा.
हालांकि प्राकृतिक आपदा या कानून व्यवस्था बिगड़ने या ऐसी ही कोई इमरजेंसी स्थिति में राहत और अन्य कामों के लिए इसमें छूट दी जा सकती है. इसके साथ राज्यों के मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करना और इसके जरिए उसे जिले के अधिकारियों से बातचीत करना भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आता है. साथ ही किसी मंत्री की उसके विधानसभा क्षेत्र में निजी यात्रा पर किसी सरकारी अधिकारी द्वारा मिलना भी रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के तहत सेवा में रहते हुए अमर्यादित आचरण की श्रेणी में आता है और यह काम दंडात्मक कार्यवाही के योग्य माना जाएगा.
आचार संहिता के दौरान राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों को अपने साथ निजी दौरे पर और राजपत्रित कर्मचारियों को निजी स्टाफ के रूप में ले जाने की मंजूरी है लेकिन स्टाफ संबंधित क्षेत्र में कोई भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकेगा.प्रधानमंत्री के चुनाव अभियान में उनके उद्बोधन से जुड़ी टेलीप्रॉन्पटर और अन्य व्यवस्था के लिए दूरदर्शन की ओर से आधिकारिक स्टाफ की तैनाती संभव है.मंत्रियों को उनके चुनाव दौरे के समय गेस्ट हाउस या रेस्ट हाउस या सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम से जुड़े स्थान पर आवासीय सुविधा उपलब्ध नहीं होगी हालांकि जेड और जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा वाले मंत्रियों और अन्य राजनीतिक व्यक्तियों को यह सुविधा मिल सकेगी. आमतौर पर मुख्यमंत्री या गृहमंत्री की ओर से की जाने वाली सुरक्षा ब्रीफिंग आचार संहिता के दौरान गृह सचिव या मुख्य सचिव द्वारा की जाएगी. साथ ही अगर पुलिस एजेंसियों या उनके अधिकारियों को बुलाना जरूरी माना गया तो मुख्य सचिव या गृह सचिव उन्हें बुला सकेंगे .