प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया स्वर्वेद मंदिर का लोकार्पण, कहा-काशी में बीता हर क्षण अद्भुत होता है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया स्वर्वेद मंदिर का लोकार्पण, कहा-काशी में बीता हर क्षण अद्भुत होता है

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी दौरे का आज दूसरा दिन है. प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर्वेद मंदिर का लोकार्पण किया. PM मोदी ने कहा कि काशी में बीता हर क्षण अद्भुत होता है. सदाफल देव जी ने लाखों लोगों के जीवन को बदला. स्वर्वेद मंदिर सदाफल देव जी के उपदेशों का प्रतीक है. महर्षि सदाफल देव जी को मेरा नमन है. PM मोदी ने कहा कि 
काशी की सेवा का सौभाग्य मिला. देश अब गुलामी की सोच से मुक्त हो रहा है. 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं. सरकार, समाज और संतगण सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं.आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना, इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है. ये महामंदिर महृषि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है. इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमे उतना ही अचंभित भी करती है.

स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है. इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है. वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं. इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है. भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास का उदाहरण रहा है.

हमने प्रगति के प्रतिमान गढ़े हैं, समृद्धि के सौपान तय किए हैं. भारत ने कभी भौतिक उन्नति को भौगोलिक विस्तार और शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया. भौतिक प्रगति के लिए भी हमने आध्यात्मिक और मानवीय प्रतीकों की रचना की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने काशी जैसे जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों का आशीर्वाद लिया. गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया. आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देते तो देश के भीतर एकजुटता और आत्मसम्मान का भाव मजबूत होता. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.
आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण तक का विरोध किया गया था और ये सोच दशकों तक देश पर हावी रही. आजादी के 7 दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घुमा है. देश अब लालकिले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व की घोषणा कर रहा है. जो काम सोमनाथ से शुरू हुआ था, वो अब एक अभियान बन गया है. आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है. 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है. आज केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है. बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है.  देश में राम सर्किट के विकास के लिए भी तेजी से काम हो रहा है और अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि अब बनारस का मतलब है - विकास, अब बनारस का मतलब है - आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं, अब बनारस का मतलब है - स्वच्छता और बदलाव, बनारस आज विकास के अद्वितीय पथ पर अग्रसर है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज एक बार फिर मैं आपके सामने 9 संकल्प, 9 आग्रह रख रहा हूं : 
1- पानी की बूंद-बूंद बचाइए और जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करिए,
2 - गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल लेन देन के प्रति जागरूक करिए.
3 - अपने गांव, शहर, मोहल्ले को स्वच्छता में नंबर 1 बनाने के लिए काम करिए.
4 - जितना हो सके आप लोकल को, स्थानीय प्रोडक्ट को प्रमोट करिए, मेड इन इंडिया उत्पादों का ही प्रयोग कीजिये.
5 - जितना हो सके, पहले अपने देश को देखिए, अपने देश में घूमिए.
6 - प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करिए.
7 - मिलेट्स यानी श्री अन्न को अपने जीवन में शामिल करिए, इसका खूब प्रचार-प्रसार करिए.
8 - फिटनेस योग हो, स्पोर्ट्स हो, उसे भी अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाइए.
9 - कम से कम एक गरीब परिवार का संबल बनिए, उसकी मदद कीजिए. ये भारत में गरीबी दूर करने के लिए जरूरी है.