नई दिल्ली: संसद का विशेष सत्र चल रहा है. संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दी. पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद में नए भविष्य का श्रीगणेश हो रहा है. विकसित भारत का संकल्प दोहरा रहे हैं. सेंट्रल हॉल हमारी भावनाओं से भरा है. इसी सेंट्रल हॉल में तिरंगे को अपनाया गया. पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के 41 राष्ट्राध्यक्षों ने यहां संबोधित किया.
सेंट्रल हॉल में राष्ट्रगान को अपनाया गया. पीएम मोदी ने कहा कि संसद से मुस्लिम बहन बेटियों को न्याय मिला. ट्रांसजेंडर के लिए कानून बनाया गया. इसी सदन ने आर्टिकल 370 को हटाया गया. पीएम मोदी ने कहा कि जितनी गति तेज करेंगे,परिणाम उतनी जल्दी मिलेंगे. दुनिया को भरोसा भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा. दुनिया भारत के मॉडल की चर्चा कर रही है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत हुआ. अब भारत रुकने वाला नहीं है.
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने लाल किले से कहा था- यही समय है, सही समय है. एक के बाद एक घटनाओं पर नजर डालें तो हर एक घटना इस बात की गवाह है कि आज भारत एक नई चेतना के साथ जाग उठा है. भारत एक नई ऊर्जा से भर गया है. यही चेतना और ऊर्जा करोड़ों लोगों के सपनों को संकल्प में बदल सकती है और उन संकल्पों को हकीकत में बदल सकती है. संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया. यह सेंट्रल हॉल उस प्रकिया का भी साक्षी है. हमारे राष्ट्रगान और तिरंगे को भी यहीं अपनाया गया. यहीं पर चार हजार से ज्यादा कानून पास हुए. इसी संसद में मुस्लिम बहन बेटियों को न्याय की जो प्रतीक्षा थी, शाहबानों केस के कारण गाड़ी कुछ उलटी पाटी पर चल गई थी. इसी सदन ने हमारी उस गलती को ठीक किया.
आपको बता दें कि आज सत्र का दूसरा दिन है. सत्र की कार्यवाही आज से नए संसद भवन में चलेगी. इससे पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक साथ फोटो शूट हुआ. इसमें पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मौजूद रहे. विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द इसे लोकसभा में पेश कर सकती है. यह पहला मौका नहीं है, जब महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर आएगा. 1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है. लेकिन दोनों सदनों में पास नहीं हो सका. 2010 में तो हंगामे के बीच राज्यसभा में पास भी हो गया था. लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो सका था.