VIDEO: फिटनेस बिना विटनेस, ना जाने कितने केस? लूट का अड्डा बने निजी क्षेत्र के फिटनेस सेंटर्स, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: सरकार का निजी क्षेत्र में फिटनेस सेंटर खोलने का प्रयोग बुरी तरह से फेल हो गया है.एक तरफ निजी क्षेत्र में फिटनेस सेंटर खोलने से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ निजी क्षेत्र में संचालित फिटनेस सेंटर लूट का अड्डा बन गए. परिवहन विभाग में फिटनेस सेंटरों का काफी महत्वपूर्ण रोल है.सड़क पर चलने वाले कई तरह के वाहनों को फिटनेस सेंटरों से फिटनेस का प्रमाण पत्र लेना होता है,इसके बाद ही यह वाहन सड़क पर चलने के योग्य होते हैं. साल 2019 से पहले तक प्रदेश में फिटनेस सेंटर परिवहन विभाग के कार्यालय में ही संचालित होते थे, लेकिन सरकार ने इस मंशा के साथ लोगों को अपने नजदीकी जगह पर वाहन की फिटनेस करने की सुविधा मिले निजी क्षेत्र में फिटनेस सेंटर खोलने का फैसला लिया. सरकार के इस फैसले के चार साल के बाद यह कहा जा सकता है कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गलत साबित हुआ है क्योंकि निजी क्षेत्र में खोले गए फिटनेस सेंटर लोगों को राहत देने की जगह वाहन स्वामियों के लिए आफत बने हुए हैं. 

प्रदेश में इस समय 82 फिटनेस सेंटर संचालित है, इनमें से अधिकतर सेंटर ऐसे हैं, जहां पर वाहन स्वामियों से मन माफिक फीस वसूली जा रही है. परिवहन मुख्यालय के दर्जनों निर्देशों के बाद भी प्रदेश में फिटनेस सेंटरों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. प्रदेश में संचालित निजी फिटनेस सेंटर में यूं तो गड़बड़ियों का अंबार लगा हुआ है, लेकिन बीते 4 साल से अधिकतर फिटनेस सेंटर सबसे बड़ी गड़बड़ी यह कर रहे हैं कि वहां के बिना केंद्र पर आए ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है. फिटनेस सेंटरों की इस गड़बड़ी को रोकने के लिए परिवहन विभाग ने कई बार प्रयास किए, लेकिन यह प्रयास खानापूर्ति से अधिक गंभीर साबित नहीं हो पाए. किस फिटनेस सेंटर में वाहन की फिटनेस कब और कैसे जारी की जा रही है, यह देखने के लिए सभी फिटनेस सेंटर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनके लिंक जिला परिवहन अधिकारी के पास उपलब्ध होते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकतर जिला परिवहन अधिकारी भी फिटनेस सेंटरों से सांठगांठ करके सीसीटीवी के फुटेज चेक नहीं कर रहे हैं.यही कारण है की प्रदेश में संचालित फिटनेस सेंटर पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं और ऐसा लग रहा है कि परिवहन विभाग का इन फिटनेस सेंटरों पर कोई नियंत्रण ही नहीं है.

फिटनेस सेंटर्स की मनमानी:
1- परिवहन विभाग के नियमों को नहीं मानते अधिकतर फिटनेस सेंटर
2- फिटनेस सत्रों के बाहर उपलब्ध नहीं है फिटनेस चार्ज लिस्ट
3- बिना वाहन के फिटनेस सेंटर पर आए वीडियो कॉल के माध्यम से जारी की जा रही वाहनों की फिटनेस
4- फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए वाहन स्वामियों से वसूली जा रही है मनमानी की फीस
5- फिटनेस सेंटरों ने आपस में कर रखा है गठबंधन, इसलिए नहीं करते विभाग के नियमों की पालना
6- कई फिटनेस सेंटर विभाग के पूर्व अधिकारी और कर्मचारी ही कर रहे संचालित
7- प्रदेश के कई नेताओं ने भी खोल रखे हैं फिटनेस सेंटर

साल 2019 से पहले प्रदेश में परिवहन कार्यालय में ही वाहनों की फिटनेस की जाती थी, परिवहन निरीक्षक ही मैन्युअल वहां की फिटनेस चेक कर उसे फिटनेस का प्रमाण पत्र देते थे. वहां का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी होने के बाद अगर वहां की फिटनेस में कोई गड़बड़ी पाई जाती तो उसके लिए संबंधित परिवहन निरीक्षक जिम्मेदार होता था यही कारण है छोटी-मोटी शिकायतों के अलावा परिवहन निरीक्षक जो फिटनेस जारी करते थे वह सही और विश्वसनीय होती थी लेकिन निजी क्षेत्र में फिटनेस सेंटर संचालित होने के बाद वाहनों की फर्जी फिटनेस होने की शिकायत है बहुत बढ़ गई है. हालात इतने गंभीर हैं की फिटनेस सेंटर सरकारी स्कूल के वाहनों और एंबुलेंस तक की फर्जी फिटनेस जारी कर रहे हैं. 

इसके बाद भी परिवहन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है.अधिकतर मामलों में जिला परिवहन अधिकारी अपने जिले में संचालित फिटनेस सेंटरों की नेगेटिव रिपोर्ट मुख्यालय को भेजते ही नहीं है. अगर ये रिपोर्ट कुछ जिला परिवहन अधिकारी मुख्यालय को भेज भी दें तो फिटनेस सेंटर के खिलाफ कार्रवाई करने में परिवहन मुख्यालय को बहुत जोर आता है. प्रमुख सचिव परिवहन आनंद कुमार के निर्देशों के बाद पूरे प्रदेश में फिटनेस सेंटरों के खिलाफ जांच अभियान चलाया गया था,  जिसमें कई फिटनेस सेंटर में गंभीर अनियमितताएं मिली थी इसके बावजूद अभी तक गिने-चुने फिटनेस सेंटर ऐसे हैं जिन पर परिवहन विभाग ने एक्शन लिया है. मनमर्जी कर रहे फिटनेस सेंटरों का मायाजाल इतना बड़ा है की परिवहन विभाग के कई अधिकारी इस मायाजाल में पूरी तरह से फंस चुके हैं. परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला भी कई मौके पर कह चुके हैं की फिटनेस सत्रों के कारण परिवहन विभाग की छवि खराब हो रही है. इसके बावजूद गड़बड़ी करने वाले फिटनेस सेंटरों पर परिवहन विभाग मेरिट के आधार पर कार्रवाई नहीं कर रहा है.

फिटनेस सेंटर्स की गड़बड़ियां!: 

1- वत्सल फिटनेस सेंटर शाहपुरा
-RJ 52 GB 2551 नंबर की यह गाड़ी 7 अक्टूबर 2022 से 22 अक्टूबर 2022 तक पुलिस थाने में बंद थी लेकिन 14 अक्टूबर 2022 को इस फिटनेस सेंटर ने इस गाड़ी की फिटनेस जारी कर दी,अभी तक कोई कार्रवाई नहीं

2- तिरुपति एसोसिएट फिटनेस सेंटर चोमूं
-इस फिटनेस सेंटर ने 27 जुलाई को बिना सेंटर पर आए एक साथ 18 एंबुलेंस की फिटनेस जारी कर दी,अभी तक एक्शन नहीं लिया गया

3- शांति फिटनेस सेंटर अजमेर रोड जयपुर
-इस फिटनेस सेंटर ने महज एक दिन में 82 वाहनों की फिटनेस जारी कर दी. जबकि एक दिन में अधिकतम 40 वाहनों की फिटनेस ही जारी हो सकती है. अधिकतर वाहन ऐसे थे जो फिटनेस सेंटर पर आए ही नहीं

4- श्री बालाजी फिटनेस सेंटर पाली
-पाली के इस फिटनेस सेंटर ने बिना वहां के केंद्र पर पहुंचे, फिटनेस जारी करने का अनोखा रिकॉर्ड बनाया. इस फिटनेस सेंटर ने हर महीने में 50 से अधिक वाहनों की फिटनेस बिना वहां के केंद्र पर पहुंचे ही जारी कर दी. डीटीओ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. 

5-टोंक फिटनेस सेंटर
-यह फिटनेस सेंटर टोंक जिला परिवहन अधिकारी के कार्यालय के ठीक सामने है. इसके बावजूद डीटीओ ने कभी इस केंद्र की आईडी को चेक नहीं किया. शिकायतों के बाद मुख्यालय की टीम ने निरीक्षण किया, तो सैकड़ों की संख्या में वाहन मिले जिनकी फर्जी फिटनेस जारी की गई, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई.

इस तरह की गड़बड़ी करने वाले फिटनेस सेंटरों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, लेकिन इसके मुकाबले परिवहन विभाग ने फिटनेस सेंटरों पर जो कार्रवाई की है. वह बिल्कुल ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है. एक तरफ तो सरकार प्रदेश में  सड़क हादसों को कम करने के लिए करोड़ों का बजट खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति के कारण ही फिटनेस सेंटर प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं. जब तक प्रदेश में चल रहा फर्जी फिटनेस प्रमाण पत्र का खेल खत्म नहीं होता तब तक प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या कम होगी यह उम्मीद करना ही बेमानी है. परिवहन विभाग के उडन दस्तों की जांच में कई बार इस तरह के वाहन पकड़े गए हैं जो किसी भी सूरत से सड़क पर चलने योग्य नहीं है, लेकिन उनके पास फिटनेस सेंटर से जारी फिटनेस प्रमाण पत्र है. प्रदेश में चल रहा फर्जी फिटनेस का यह खेल इतना बड़ा है कि सब कुछ पता होने के बाद भी परिवहन विभाग प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.