Rajasthan News: अब स्कूल वाहनों में लापरवाही पड़ेगी भारी ! परिवहन विभाग शुरू किया प्रदेशव्यापी अभियान, जानिए किन नियमों की पालना करना जरूरी

जयपुर: प्रदेश में निजी स्कूलों की लापरवाही से स्कूल वाहनों में जाने वाले बच्चों की जान खतरे में है. प्रदेश में अधिकतर निजी स्कूल ऐसे हैं जो अपने स्कूलों में संचालित होने वाले वाहनों में नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे स्कूली वाहनों पर कार्रवाई करने के लिए परिवहन विभाग आज से एक प्रदेश व्यापी अभियान शुरू कर रहा है. 

कुछ दिन पहले ही जैसलमेर जिले में एक स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी जिसमें काफी स्कूली बच्चे गंभीर रूप से चोटिल हुए जब इस घटना के कारणों की जांच की गई तो पता चला कि स्कूली बस में क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाया गया था. साथ ही वह बस भी निम्न श्रेणी की स्थिति में थी ऐसे हालात प्रदेश में सिर्फ जैसलमेर में ही नहीं बल्कि अधिकतर जिलों में हैं हालात इतने खराब हैं कि राजधानी जयपुर के भी कई स्कूलों में चलने वाले वाहन या तो पूरी तरह फिट नहीं है या अधिकतर नियमों की पालना नहीं कर रहे परिवहन विभाग का यह नियम है. केवल वाहिनी स्कूल के अलावा अन्य कार्यों में प्रयोग नहीं किया जा सकता लेकिन पूरे प्रदेश में स्कूलों में चलने वाले ऑटो और टैक्सी टाटा मैजिक बस और मिनी बस स्कूल समय के बाद सड़क पर चलते दिखाई दे रहे हैं.

प्रदेश में स्कूली वाहनों से कई बड़े सड़क हादसे भी हो चुके हैं इसके बाद भी इस ओर परिवहन विभाग ने खास ध्यान नहीं दिया है. स्कूली वाहनों की समय-समय पर जांच करना और नियम विरुद्ध चल रहे स्कूली वाहनों पर कार्यवाही करना परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है लेकिन परिवहन विभाग को अपनी जिम्मेदारी तब याद आती है जब प्रदेश में स्कूली वाहन से कोई दुर्घटना घटित होती है. नियमित तौर पर स्कूली वाहनों की जांच नहीं होने से प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में चलने वाली वालों महीने पर वन विभाग के नियमों का मजाक बना रही है. जैसलमेर में स्कूली बस से दुर्घटना होने के बाद परिवहन विभाग में एक बार फिर बाहर वाहनों की जांच के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है परिवहन विभाग का यह प्रदेश व्यापी अभियान कल से शुरू होगा जो 4 अगस्त तक चलेगा.

   

बाल वाहनियों की विशेष चेकिंग का अभियान कल से शुरू होगा इसे लेकर परिवहन आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने सभी आरटीओ और डीटीओ को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं स्वामी ने निर्देश दिए हैं कि नियम विरुद्ध चल रहे सभी स्कूली वाहनों पर प्राथमिकता के साथ कार्यवाही की जाए. परिवहन आयुक्त ने सभी आरटीओ और डीटीओ को भी फील्ड में निकल कर बाल वाहनियों की जांच करने के निर्देश दिए हैं. सभी आरटीओ और डीटीओ को अभियान की अवधि के दौरान रोज की गई कार्रवाई के बारे में मुख्यालय को रिपोर्ट भेज नी होगी.

अब आपको बताते हैं बाल वाहनियों को किन नियमों की पालना करना जरूरी है...

1- स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होना चाहिए इसके आगे और पीछे स्कूल बस लिखा होगा,, अगर बस अनुबंधित है तो ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना जरूरी है, लेकिन पूरे प्रदेश में इस नियम की पालना नहीं हो रही है. 

2- स्कूली बच्चों के लिए परिवहन करने वाले ऑटो रिक्शा में आगे और पीछे स्पष्ट अक्षरों में ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना जरूरी है लेकिन इस आदेश की पालना भी नहीं हो रही है. 

3- बस वैन कैब या ऑटो के पीछे स्कूल का नाम और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाना जरूरी है जिससे आपात स्थिति में या चालक द्वारा लापरवाही करने की स्थिति में सूचित किया जा सके लेकिन इस नियम1 की भी पालना नहीं हो रही है. 

4- स्कूली वाहन चलाने वाले चालक को 5 साल का अनुभव होना चाहिए और उसके पास कम से कम 5 वर्ष पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए. 

5- दुर्घटना और आपात की स्थिति में छात्रो के लिए स्कूली वाहनों में अग्निशामक यंत्र और फर्स्ट एड बॉक्स लगाना जरूरी है. 

6- स्कूली परिवहन में चलने वाले वाहन में जीपीएस लगाया जाना भी जरूरी है जिसकी मॉनिटरिंग स्कूल प्रशासन की ओर से की जाए. 

7- अगर स्कूली वाहन चालक का  यातायात नियमों को तोड़ने के कारण एक से अधिक चालान हुआ है तो उसे हटाया जाना जरूरी है. 

8- बाल वाहिनी वाहनों में डोरलोक की सुविधा होना भी अनिवार्य है.