VIDEO: राजूवास यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती, 3 माह से अंतर विभागीय कमेटी की नहीं हुई जांच, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर की सहायक प्रोफेसर की भर्ती मामले में जांच पर जांच हो रही हैं. 3 महीने पूर्व पशुपालन विभाग ने अंतर विभागीय कमेटी बनाई थी. लेकिन कमेटी की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है. रोचक यह है कि पहले हुई विभागीय जांच में भर्ती में गड़बड़ियां मानी गई थी, फिर भी भर्ती को निरस्त कर नए सिरे से भर्ती शुरू नहीं की जा रही है. आखिर क्यों अटकी हुई है भर्ती प्रक्रिया.

21 दिसंबर 2022 को पशुपालन विभाग की उप सचिव कश्मी कौर ने एक आदेश जारी किया. आदेश था कि राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में की जा रही सहायक आचार्य की भर्ती में अनियमितताओं की शिकायत के आधार पर अंतर विभागीय कमेटी का गठन किया गया है. इस समिति द्वारा जांच किए जाने और निर्णय प्राप्त होने तक भर्ती प्रक्रिया में आगे कोई कार्यवाही नहीं की जाए. इस आदेश में यह साफ किया गया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की जा रही इस भर्ती को जांच कमेटी का निर्णय आने तक पूरा नहीं किया जा सकेगा. इस तरह पिछले साढ़े तीन महीने से यह भर्ती प्रक्रिया अटकी पड़ी है. दरअसल गड़बड़ियों के आरोपों को लेकर पहले ही पशुपालन विभाग ने एक आंतरिक कमेटी गठित की थी. 25 नवंबर 2022 के आदेश से गठित कमेटी की जांच में प्रथम दृष्टया गड़बड़ियां मानी गई थी. इसके बाद ही उच्च स्तरीय अंतर विभागीय जांच कमेटी गठित करने के आदेश किए गए थे.

जानिए, क्यों अटकी पड़ी है भर्ती ?
- 21 दिसंबर 2022 को अंतर विभागीय कमेटी गठन के आदेश किए
- लेकिन विभागीय सूत्रों की मानें तो अंतर विभागीय कमेटी बनाई ही नहीं गई
- उच्च स्तरीय दबाव के चलते जांच कमेटी नहीं बनाकर डीओपी से राय मांगी गई
- डीओपी ने स्थिति को अस्पष्ट मानते हुए पत्रावली पर कोई राय नहीं दी
- डीओपी ने पत्रावली को वापस पशुपालन विभाग को लौटा दिया
- जब 25 नवंबर के आदेश से गठित कमेटी भर्ती में अनियमितताएं मान चुकी
- जिसकी पुष्टि 2 फरवरी 2023 के पशुपालन विभाग की उप सचिव के पत्र से हुई
- उप सचिव ने राजभवन को भेजे जवाब में कहा कि भर्ती की जांच में गड़बड़ियां पाई गई
- इसी आधार पर भर्ती रोकते हुए उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा की गई 
- लेकिन 3 महीने से ज्यादा समय बीतने पर भी न जांच हुई, न भर्ती पर कोई निर्णय

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग पहले से ही अपने खिलाफ आपराधिक मामले न्यायालय में लंबित होने के आरोप झेल रहे हैं. उनकी नियुक्ति गलत तरीके से किए जाने को लेकर राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा की जनहित याचिका पर जोधपुर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. सहायक प्रोफेसर की इस भर्ती में गड़बड़ियों को लेकर सीएमओ में हुई शिकायतों में भी डॉ. सतीश गर्ग के खिलाफ ही गड़बड़ियां करने के आरोप हैं. इस बारे में प्रदेश के 5 विधायकों ने सीएमओ में भर्ती में एससी-एसटी के बैकलॉग से छेड़छाड़ की शिकायत की थी.  

सहायक प्रोफेसर भर्ती में गड़बड़ी क्या ?
- 23 जून 2022 को सहायक प्रोफेसर के 72 पदों पर भर्ती शुरू की
- 18 जुलाई तक अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए
- 28 अगस्त को विश्वविद्यालय की बॉम मीटिंग में अजब-गजब निर्णय हुआ
- पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत होने पर 4 अंक का किया प्रावधान
- 14 सितंबर 2022 को इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया
- नियमानुसार इस निर्णय के बाद भर्ती के लिए दुबारा आवेदन लेने चाहिए थे
- लेकिन आवेदन दुबारा नहीं लिए, इससे काफी पशु चिकित्सा अधिकारी वंचित रह गए
- आरोप यह कि नए प्रावधान से चहेतों को 4 अंक बोनस का लाभ दिया गया
- इसके अलावा भर्ती के रोस्टर में गड़बड़ी होने और
- एससी-एसटी के बैकलॉग पदों की गणना में गड़बड़ी के हैं आरोप