जयपुर: राजस्थान विश्विविद्यालय में छात्रसंघ चुनावों की रणभेरी बज चुकी है इन दिनों हर छात्रनेता कैम्पस में अपनी धाक और पहचान बनाने की जुगत में लगे हुए है लेकिन 2010 में बनी लिंगदोह कमेटी की जो सिफारिशे रही वो इन दिनों तार तार होती हुई दिखाई दे रही है,छात्रनेता खुलेआम अपनी दर्जनों गाडियों को कैम्पस और कैम्पस के बाहर चुनावी प्रचार में लगाए हुए है वहीं लाचार प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी लिंगदोह कमेटी की सिफारिसों को पालन कराने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही है.
क्या है लिंगदोह कमेटी की छात्रसंघ चुनाव को लेकर सिफारिशे
1-प्रत्याशियों द्वारा छात्रसंघ चुनाव प्रचार केवल महाविद्यालय परिसर तक रहेगा
2-प्रत्याशी चुनाव प्रचार में पांच हजार रूपया अधिकतम की राशि तक व्यय कर सकेगा
3-चुनाव अवधि के दौरान सार्वजनिक व निजी परिसरों,भवनों,दीवारों,बोर्डों पर पेम्पलेट और बैनर पूर्व प्रतिबंध रहेगा
4-प्रचार हेतु लाउड स्पीकर,वाहनों और जानवरों का प्रयोग निषेध है
लिंगदोह कमेटी की बात करे तो कमेटी की ओर से करीब 25 नियम छात्रसंघ चुनाव को लेकर बताए गए है लेकिन हम उन्ह चार ही नियमों की बात कर रहे जो आज सबसे ज्यादा तोड़े जा रहे है ,छात्रसंघ चुनाव को लेकर अभी तक सरकार की ओर से अधिसूचना जारी नहीं की गई है लेकिन उससे पहले राजस्थआन विवि में छात्रनेताओं के पोस्टर,और गाडियां का कैम्पस में कौतुहल साफ तौर पर सुनाई दे रहा है लिंगदहो कमेटी की सिफारिसों में सबसे अहम ये है कि प्रत्याशी पांच हजार रूपए तक का ही चुनावी खर्चा कर सकता है लेकिन यहां तो चुनावी कार्यक्रम जारी होने से पहले छात्रनेताओं ने लाखों रूपए अब तक गाडिओं के डीजल-पेट्रोंल पर लुटा दिए.
प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान यूनिव्रसिटी का प्रशासन इन दिनों पूरी तरह से कुंभकरणी नींद में सोया हुआ है ना कुलपति और ना ही चीफ प्रोक्टर ने छात्रनेताओं से कैम्पस में पोस्टर से लेकर गाडियों पर रोक जैसे आदेश जारी किए अब बात आती है लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की खुद यूनिवर्सिटी ही लिंगदोह कमेटी के नियमों की पालना नहीं करवा पा रही है तो छात्रनेता फिर क्यो इनका पालन करने लगे,,यहां तक आज तक एक भी छात्रनेता को लिंगदोह कमेटी के नियमो की अवहेलना के चलते चुनाव से वंचित किया गया अगर विवि ऐसा करती तो शायद ये नौबत नहीं आन पड़ती.
राजस्थान विवि के लिए लिंगहोद कमेटी की सिफारिशों के तहत चुनाव करना वेहद ही कठिन काम हो गया है चुनाव से पहले जिस तरह का माहौल यूनिवर्सिटी में दिखाई दे रहा है उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है. जब चुनाव की अधिसूचना जारी होगी तो शायद ही कैम्पस का कोई ऐसा कोना होगा जहां छात्रनेताओं के पोस्टर दिखाई नहीं दे.