जयपुर: राजस्थान सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया है. अब प्रदेश के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व- रणथंभौर और सरिस्का में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होने जा रहा है. सरकार ने यह जिम्मेदारी राजस्थान रोडवेज को सौंपी है और इसके लिए अनुबंध पर बसें ली जाएंगी.
अब जल्द ही रणथंभौर में प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर और सरिस्का में ऐतिहासिक पांडुपोल मंदिर तक श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों की सुविधा उपलब्ध होगी. लंबे समय से श्रद्धालुओं की यह मांग थी कि जंगल क्षेत्र में डीजल वाहनों के बजाय पर्यावरण अनुकूल साधनों का प्रयोग किया जाए. अब इस पहल से टाइगर रिजर्व का प्रदूषण कम होगा और वन्यजीवों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. रोडवेज प्रबंधन ने सरकार के निर्देश के बाद 80 इलेक्ट्रिक बसों को अनुबंध पर लेने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं.
इनमें से 40 बसें रणथंभौर और 40 बसें सरिस्का टाइगर रिजर्व में चलेंगी. बसों का संचालन पूरी तरह अनुबंध आधारित होगा ताकि रखरखाव और परिचालन की जिम्मेदारी भी कंपनियों पर ही रहे.अब तक श्रद्धालु निजी वाहनों या डीजल से चलने वाली बसों के माध्यम से मंदिरों तक पहुंचते थे. इससे न केवल भीड़भाड़ और प्रदूषण की समस्या रहती थी, बल्कि वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास भी प्रभावित होता था. इलेक्ट्रिक बसों के शुरू होने से यात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और पर्यावरण हितैषी परिवहन सुविधा मिलेगी.
पर्यावरणविदों का कहना है कि जंगल क्षेत्र में डीजल और पेट्रोल वाहनों के प्रवेश से ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे बाघ और अन्य वन्यजीव प्रभावित होते हैं. इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग से यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी. यह पहल केंद्र सरकार की ‘ग्रीन मोबिलिटी’ नीति के अनुरूप भी है.रणथंभौर और सरिस्का दोनों ही राजस्थान के प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं, जहां देश-विदेश से हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं. यहां इलेक्ट्रिक बसों की सुविधा मिलने से पर्यटन अनुभव और बेहतर होगा. साथ ही यह पहल राजस्थान को पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन की दिशा में अग्रणी बनाने में मदद करेगी.
अब तक रोडवेज मुख्य रूप से शहरों और हाईवे पर अपनी बसें चलाता रहा है, लेकिन पहली बार उसे टाइगर रिजर्व के भीतर संचालन की जिम्मेदारी दी गई है. अधिकारियों का कहना है कि इससे रोडवेज को अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा और उसकी सेवाओं का दायरा बढ़ेगा.सरकार का यह फैसला न केवल श्रद्धालुओं के लिए राहत है बल्कि बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कदम है. रणथंभौर और सरिस्का में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होने से इन संवेदनशील क्षेत्रों में प्रदूषण घटेगा और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था स्थापित होगी.