जयपुरः राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम में करप्शन रोकने और पारदर्शिता के लिए चिकित्सा विभाग भले ही जोरशोर से नई गाइडलाइन बनाने में जुटा है. लेकिन निजी अस्पताल पुराने भुगतान के विवाद को छेड़कर सीधे तौर पर सिस्टम को "आंख" दिखा रहे है. निजी अस्पतालों के संगठन राजस्थान एलायंस ऑफ ऑल हॉस्पिटल एसोसिएशन(RAHA)ने 25 अगस्त से कैशलैस इलाज नहीं करने की घोषणा की है. ऐसे में अब चिकित्सा विभाग ने मनमानी पर उतरने वाले अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई का एक्शन प्लान तैयार किया है. इसके तहत पहले चरण में पूरी योजना की कमान ही जिलों में तैनात सीएमएचओ को सौंपी गई है. आखिर क्या है आरजीएचएस का विवाद और निजी अस्पताल-विभाग की प्लानिंग.
पूर्ववर्ती सरकार के समय 2021 में शुरू हुई राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम पिछले काफी समय से विवादों में है. जिस तरह से चार साल के भीतर योजना का बजट तीन गुना तक बढ़ा, उसी अनुपात में "करप्शन" ने भी फील्ड में जड़े जमा ली. वित्त विभाग की ऑडिट में करोड़ों के खेल का खुलासा हुआ तो आनन-फानन में चिकित्सा विभाग को पूरी योजना की कमान सौंपी गई है. ये जिम्मेदारी मिलने के साथ ही सूबे के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर और प्रमुख चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़ के निर्देशन में एक तरफ जहां योजना का नए सिरे से प्रारूप बनाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर गड़बड़ियों में लिप्त चिकित्सक, सरकारी कार्मिंक, फार्मेंसी संचालक और अस्पतालों के खिलाफ कड़ा एक्शन भी लिया जा रहा है. विभाग के इस सख्त रवैये के बीच अब निजी अस्पतालों में भी खलबली का माहौल है. पुराने मामलों को दबाने के लिए निजी अस्पतालों ने बकाया भुगतान का नया राग अलापना शुरू कर दिया है.
योजना पर एक नजर
2021 में राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम शुरू की गई
योजना में 13 लाख कार्ड के जरिए करीब 37 लाख लाभार्भियों को जोड़ा गया
इसमें राजस्थान सरकार के मंत्रियों, विधायकों, अखिल भारती सेवा के अधिकारी, पेंशनर्स, राज्य सेवा के अधिकारी, कर्मचारी, पेंशनर्स शामिल है
इन सभी लाभार्थियों को कैशलैस इलाज देने के लिए 776 निजी अस्पताल, 4216 फार्मेंसी, 942 राजकीय अस्पताल, 617 सहकारी दवा भण्डार को अनुमोदित किया गया है
साल दर साल बढ़ा बजट,जांच में कई अनियमिताएं उजागर
वर्ष 2021-22 में योजना में 366 करोड़ रुपए का खर्चा हुआ
लेकिन इसके बाद 2022-23 में 2620 करोड़, वर्ष 2023-24 में 3183 करोड़ और
वर्ष 2024-25 में 3331 करोड़ रुपए का व्यय दर्ज किया गया...
ऐसे में जैसे ही वित्त विभाग ने जांच में कई तरह की गड़बड़ियां पकड़ी तो पूरे सिस्टम के होश उड़ गए
आनन-फानन में भुगतान की प्रक्रिया को जांच के दायरे में डाला गया, जिसके चलते 2025-26 में अब तक 1000 करोड़ का भुगतान ही जारी किया गया है
अनियमिताओं को देखते हुए इस वित्तीय वर्ष में जैसे ही भुगतान की प्रक्रिया धीमी की गई तो अब निजी अस्पतालों ने कैशलैश इलाज बन्द करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है.
करोड़ों के खेल में लिप्त कार्मिकों पर कार्रवाई का डण्डा
करप्शन के खिलाफ चिकित्सा विभाग की जीरो टोलरेंस नीति
कई गंभीर मामलों को देखते हुए 58 अस्पतालों की आईडी वर्तमान में है निलंबित
वर्ष 2025 में कुल 11 मामलों में गंभीर अनियमितताओं/धोखाधडी के आधार पर संबंधित फार्मेसी,
चिकित्सक व लाभार्थियों के विरूद्ध पुलिस थाने में FIR दर्ज करायी गयी है
योजनान्तर्गत अनियमितताओं में संलिप्त 6 एलौपैथिक एवं 2 आयुर्वेदिक चिकित्सकों को निलंबित किया जा चुका है, 4 चिकित्सकों के निलंबन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.
अनियमितताओं वाले मामलों में 520 कार्ड होल्डर्स के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रस्ताव विभागों को भेजे गए है
गंभीर अनियमितताओं वाले 43 कार्ड होल्डर्स (कर्मचारियों/अधिकारियों) को निलंबित करने के प्रस्ताव भी विभागों को भेजे गए है
अनियमितताओं/धोखाधडी में संलिप्त आरजीएचएस कार्डधारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए 959 लाभार्थियों के कार्ड ब्लॉक किये गये हैं
वर्ष 2025 में विभिन्न प्रकरणों में कुल 264 अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस (SCN) जारी किया गया है.
कुल 172 चिकित्सालयों का निलम्बन कर टीएमएस आईडी ब्लॉक की गई एवं 18 अस्पतालों को योजना से असंबद्ध किया गया है.
इसके अलावा अस्पतालों के विरूद्ध कुल 26.12 करोड की पैनल्टी लगाई गई, जिसमें से 20.28 करोड रूपए की वसूली की जा चुकी है.
अनियमितता, धोखाधडी एवं गडबडियों वाले मेडीकल स्टोर के विरूद्ध कार्रवाई करते हुए वर्ष 2025 में 2194 फार्मेसी को निलंबित किया गया है
मेडीकल स्टोर्स के विरूद्ध 39.79 लाख रूपये की पैनल्टी अधिरोपित की जाकर 32.34 लाख रूपये की वसूली की गई है
करप्शन के खिलाफ विभाग की सख्ती के बीच निजी अस्पतालों के संगठन राजस्थान एलायंस ऑफ ऑल हॉस्पिटल एसोसिएशन(RAHA) ने पुराने भुगतान पर फैसला नहीं होने की स्थिति में एकबार फिर 25 अगस्त तक कैशलैस इलाज बन्द करने की घोषणा की है. हालांकि विभाग ने किया स्पष्ट किया है कि पिछले दो माह में 500 करोड़ से अधिक का भुगतान जारी किया जा चुका है. फिर भी निजी अस्पतालों को किसी भी तरह की समस्या हो तो वार्ता के लिए द्वार खुले है. लेकिन यूं बार-बार इलाज बन्द करने की घोषणा किसी भी सूरत में नहीं बर्दाश्त होगी.