मुंबई : कलाकार : अक्षा पार्दसानी, रोहित विक्रम, अर्श संधू, गोविंद नामदेव
लेखक व निर्देशक : अरशद सिद्दीकी
निर्माता : भूपेंदर सिंह संधू, अर्पित गर्ग
प्रस्तुतकर्ता : ब्रांडेक्स एंटरटेनमेंट और अर्श संधू प्रोडक्शन्स
रेटिंग : 4 स्टार
मोहब्बत के बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं है और मोहब्बत किसी का मज़हब और जाति देखकर नहीं की जाती है. फ़िल्म 'शुभ निकाह' ज़िंदगी से जुड़े इन अहम संदेशों के आगे जाकर लोगों का भरपूर अंदाज़ में मनोरंजन भी करती है. अपने विषय की संजीदगी और इसे मनोरंजक तरीके से पेश करने का अंदाज़ ही 'शुभ निकाह' ही सबसे बड़ी ख़ूबसूरती और ख़ासियत के तौर पर सामने आती है और जाकर सीधे ज़हन में चस्पां हो जाती है.
फ़िल्म हिंदू लड़के को एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो जाने की घिसी-पिटी कहानी को दोहराती नहीं है बल्कि उसे एक नई ताज़गी और एक नये एहसास के साथ पेश करती है और फ़िल्म की कहानी दिलों को गहरे तक प्रभावित करती है. फ़िल्म का हरेक फ़्रेम और हरेक सीन बड़े ही सोच-समझकर रचा और गढ़ गया है जिसका पूरा श्रेय फ़िल्म के लेखक और निर्देशक अरशद सिद्दीकी को जाता है जिन्होंने अपने लेखन और निर्देशन दोनों से कमाल किया है.
ग़ौरतलब है कि भारत एक ऐसा देश है जहां हिंदू-मुस्लिम एकता की दुहाई तो सदियों से दी जाती है मगर दो अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखनेवाले प्रेमियों को रुढ़िवादी समाज इश्क़ करने की खुले दिल से इजाज़त नहीं देता है. इस मुद्दे को भारतीय सिनेमा के लम्बे इतिहास में कई बार सिनेमा के बड़े पर्दे पर बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ पेश किया गया है. इसी सिलसिले को आगे बढ़ाती और इस संजीदा विषय को एक नये और पुरज़ोर अंदाज़ में पेश करती है फ़िल्म 'शुभ निकाह'.
अक्षा पार्दसानी, रोहित विक्रम और अर्श संधू ने अपनी-अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लेंगे. गोविंद नामदेव समेत फ़िल्म के बाक़ी तमाम चरित्र कलाकारों ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं को बड़े ही असरदार ढंग से निभाया है. निर्देशक अरशद सिद्दीकी ने इस बात का पूरा ख़्याल रखा है कि 'शुभ निकाह' का हरेक पहलू उभर कर आए फिर चाहे वह फ़िल्म का लेखन हो, निर्देशन हो, छायांकन हो या फिर संपादन हो. फ़िल्म का हरेक पहलू इस फ़िल्म को देखने लायक और रोचक बनाता है.
ब्रांडेक्श एंटरटेनमेंट और अर्श संधू प्रोडक्शन्स की प्रस्तुति 'शुभ निकाह' एक ऐसी फ़िल्म है जिसे सिनेमा के बड़े पर्दे पर देखा और महसूस किया जाना चाहिए. यकीनन यह महज़ एक फ़िल्म नहीं बल्कि एक ऐसा एहसास है जो एक लम्बे समय तक आपको याद रहेगा और एक बेहतरीन फ़िल्म को देखने के एहसास से भर देगा.