जयपुर: राजस्थान क्रिकेट के लिए यह बुरी खबर है. प्रदेश की क्रिकेट प्रतिभाएं उपेक्षा के चलते अब राजस्थान छोड़कर अन्य प्रदेशों की तरफ रुख करने लगी है. पहले जोधपुर के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रवि विश्नोई ने राजस्थान छोड़ने का फैसला किया, अब राजस्थान के रणजी कप्तान अशोक मेनारिया ही छोड़कर चले गए है. प्रदेश के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर पहले से ही दूसरे राज्यों में कोच के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे है.
राजस्थान की क्रिकेट प्रतिभाएं कर रही है प्रदेश से पलायन:-
- जोधपुर के रवि विश्नोई ने गुजरात से खेलने का फैसला किया
- पिछले रणजी सीजन में उपेक्षा की गई थी रवि विश्नोई की
- सिर्फ एक मैच में मौका दिया गया था पिछले सत्र में
- 4 मैचों में उन्हें प्लेइंग 11 में शामिल नहीं किया टीम प्रबंधन ने
- अब राजस्थान के रणजी कप्तान अशोक मेनारिया का पलायन
- राजस्थान की बजाय अब हरियाणा से खेलने की तैयारी
- आरसीए से एनओसी ली उदयपुर के स्टार खिलाड़ी मेनारिया ने
- भारतीय अंडर-19 टीम के कप्तान रह चुके हैं मेनारिया
- रवि व मेनारिया दोनों ही आईपीएल भी खेल चुके हैं
- रवि बिश्नोई की गिनती भारतीय क्रिकेट में उभरते हुए लेग स्पिनर में है
- विश्नोई ने पिछले साल ही टी-20 और वनडे फॉर्मेट में डेब्यू किया था
- कई और खिलाड़ी भी अब राजस्थान से पलायन की तैयारी में
- दूसरी टीमों से बात चल रही है प्रदेश के कुछ क्रिकेटर्स की
प्रदेश के पूर्व क्रिकेटर्स भी चाहते हैं आरसीए इस मसले पर ध्यान दे और साथ ही यह भी देखे कि किस तरह सीनियर खिलाड़ियों का उपयोग हो सकता है. राजस्थान क्रिकेट संघ जहां एक तरफ बाहर के खिलाड़ियों को प्रदेश में मौका दे रहा है, वहीं प्रदेश के क्रिकेटर्स की उपेक्षा के आरोप लग रहे है. सिर्फ रवि विश्नोई व अशोक मेनारिया का नाम ही पलायन करने वालों में नहीं है. इससे पहले भरतपुर के तेज गेंदबाज आकाश सिंह भी प्रदेश में मौका नहीं मिलने से दूसरे राज्य से खेलने लगे. इसी तरह कभी राजस्थान की टीम के मजबूत स्तंभ रहे स्पिनर राजेश विश्नोई जूनियर को भी राजस्थान छोड़कर दूसरे राज्य में जाना पड़ा. अब अनिकेत चौधरी, महिपाल लोमरोर, कमलेश नागरकोटी व तेजेंद्र सिंह के भी विकल्प तलाशने की सूचनाएं मिल रही है.
सिर्फ क्रिकेटर्स ही पलायन कर रहे, ऐसा नहीं:
सिर्फ क्रिकेटर्स ही पलायन कर रहे हैं, ऐसा नहीं है. प्रदेश के पूर्व क्रिकेटर जो अब कोच की भूमिका निभा रहे है, वे भी दूसरे राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं. राजस्थान के कप्तान रह चुके पी कृष्णकुमार, निखिल डोरू, दिशांत याग्निक दूसरे राज्यों की टीमों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. दरअसल, प्रदेश के खिलाड़ी चयनकर्ताओं द्वारा की जा रही उपेक्षा तथा कुछ जिला पदाधिकारियों की चयन में दखलंदाजी से परेशान है. कुछ पदाधिकारियों के रिश्तेदार टीम का हिस्सा बन जाते है, लेकिन अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ी टीम से बाहर रह जाते है. चयनकर्ताओं को भी उनके अनुभव के आधार पर नहीं बल्कि अन्य कारणों से तरजीह दी जा रही है. लंबी क्रिकेट खेलने वाले पूर्व खिलाड़ी चयन समिति से बाहर रहते है.