VIDEO: निगम की चुप्पी से बढ़ा निराश्रित पशुओं का आतंक, स्मार्ट सिटी में असुरक्षित सड़कें–जिम्मेदार कौन? देखिए ये खास रिपोर्ट 

जयपुर: जयपुर नगर निगम के एकीकरण के बाद शहर में विकास और प्रबंधन को लेकर बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन हकीकत इसके उलट नजर आ रही है. इन दिनों शहर की सड़कों पर निराश्रित पशुओं का आतंक आम जनता के लिए मुसीबत बन गया है. शहर के पॉश इलाके हो या फिर मानसरोवर, महेश नगर और परकोटे के अंदर कई जगहों पर डिवाइडरों के बीच बैठे जानवर न सिर्फ ट्रैफिक बाधित कर रहे हैं, बल्कि हादसों का खतरा भी बढ़ा रहे हैं. 

जयपुर में निराश्रित पशुओं का आतंक, जनता परेशान:
-मानसरोवर, महेश नगर, परकोटे में बढ़ा हादसों का खतरा
-सड़कों पर बैठे जानवरों से ट्रैफिक जाम की स्थिति
-नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा पूरी तरह निष्क्रिय
-उपायुक्त सीमा शर्मा फील्ड में अब तक नहीं दिखीं

नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा इन दिनों दफ्तर में बैठ आराम फरमा रही है वहीं दूसरी ओर सड़कों पर जो हाल है उससे जनता रोज परेशान हो रही है निगम के एक होने पर उम्मीद थी कि पशु प्रबंधन की व्यवस्था मजबूत होगी. लेकिन हकीकत यह है कि निगम की पशु प्रबंधन शाखा की टीम फील्ड में नजर नहीं आती. उपायुक्त सीमा शर्मा भी अब तक एक भी बार फील्ड में नही गई ,निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में निराश्रित पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.शहर के प्रमुख इलाकों में सुबह और शाम के समय ट्रैफिक पीक आवर्स में यह समस्या और गंभीर हो जाती है. डिवाइडरों के बीच बैठे गाय और बैल अचानक सड़क पर आ जाते हैं, जिससे वाहन चालकों को ब्रेक लगाना पड़ता है. कई बार यह स्थिति दुर्घटनाओं का कारण बन जाती है.

शहर में अवैध डेयरियों का जाल, कार्रवाई ठप:
-जनता ने उठाई सुरक्षा और प्रबंधन की मांग
-अवैध पशु डेयरियों को निगम का अभयदान
-निगम के एकीकरण के बाद भी हालात बदतर
-विशेषज्ञ बोले- GPS ट्रैकिंग और शेल्टर होम जरूरी
-प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रही जनता की नाराजगी
-शिकायत करने के बाद भी अधिकारी नहीं करते कार्यवाही

गत महीने निगम की टीम की ओर से अवैध पशु डेयरी पर कार्यवाही की गई थी जिसकी वाहवाही निगम ने खूब लूटी लेकिन हकिकत तो ये है कि शहर में न जाने कितनी अवैध पशु डेयरियां संचालित है जिनका अधिकारियों को पूरा पता है लेकिन कार्यवाही नहीं होती शहर में अवैध डेयरियों का जाल फैला हुआ है. इन डेयरियों से निकलने वाले पशु सड़कों पर घूमते रहते हैं. निगम के पास इन डेयरियों की सूची है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस जारी किए जाते हैं. पिछले छह माह में कितनी डेयरियों पर कार्रवाई हुई, इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. 

शहरी विकास विशेषज्ञों का मानना है कि निराश्रित पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब अवैध डेयरियों पर सख्त कार्रवाई हो और पशुओं को शेल्टर होम में रखा जाए. इसके अलावा, निगम को तकनीकी समाधान जैसे GPS ट्रैकिंग और हेल्पलाइन नंबर को सक्रिय करना होगा. जयपुर जैसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट वाले शहर में निराश्रित पशुओं की समस्या प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण है. आम जनता की सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए नगर निगम को तुरंत सख्त कदम उठाने होंगे. अन्यथा यह समस्या आने वाले दिनों में और गंभीर रूप ले सकती है.