जयपुरः करीब सौ फर्जी पट्टों के मामले में मुख्य सचिव की ओर से मांगे गए जवाब पर जयपुर विकास प्राधिकरण ने रिपोर्ट तो भेज दी। लेकिन इस रिपोर्ट को लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या जेडीए ने इस गंभीर मामले में जवाब भेजने में महज औपचारिकता पूरी की है? क्या है पूरा मामला जानने के लिए देखें ये खबर
पिछले दिनों जन सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव सुधांश पंत को एक शिकायत मिली थी. इस शिकायत में बताया गया था कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के थाने में पिछले वर्ष शंकर खंडेलवाल व अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया गया. इस मामले में यह आरोप लगाया गया है कि जेडीए के करीब सौ फर्जी पट्टे बनाकर आदर्श क्रेडिट कॉ ऑपरेटिव सोसायटी व अन्य बैंकों से ऋण ले रखा है. ऋण लेने के लिए इन फर्जी पट्टों को सब रजिस्ट्रार ऑफिस से पंजीकृत भी करा लिया गया. शिकायत में कहा गया कि फर्जी पट्टे जारी करने और उस पर ऋण उठाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ जिम्मेदार एजेंसियां ठोस कार्रवाई नहीं कर रही हैं. इस शिकायत पर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव से जवाब मांगा था. नगरीय विकास विभाग ने जवाब देने के लिए यह प्रकरण जेडीए को भिजवा दिया. जेडीए ने तथ्यात्मक रिपोर्ट नगरीय विकास विभाग को भेज दी है. आपको बताते हैं कि फर्जी पट्टों के मामले में जेडीए ने इस रिपोर्ट में क्या कहा है.
-पहले एसओजी ने 93 भूखंडों को लेकर जेडीए से जानकारी मांगी थी
-जेडीए ने जो जानकारी एसओजी को भेजी थी वही जानकारी यूडीएच को भिजवाई है
-इनमें से 90 भूखंडों पर जेडीए के जोन 6 की ओर से जवाब दिया गया है
-21 भूखंडों के बारे में बताया गया है कि इनके पट्टे जेडीए की ओर से जारी नहीं किए गए हैं
-और इनसे संबंधित सभी योजनाएं जेडीए की ओर से अनुमोदित नहीं हैं
-शेष 69 भूखंडों के लिए कहा गया है कि ये योजनाएं नगर निगम को हस्तांतरित की जा चुकी है
-इसलिए इनका रिकॉर्ड नगर निगम से अपेक्षित है
- जोन 7 ने हनुमान नगर बी कॉलोनी के भूखंड संख्या बी-45 व बी-46 और ऑफिसर्स कैम्पस विस्तार के भूखंड संख्या 171 को लेकर जानकारी दी है
-इसमें बताया गया है कि इन तीनों भूखंडों के पट्टे जेडीए ने जारी किए हैं
-ये पट्टे मूल आवंटी के पक्ष में ही जारी किए गए और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर कोई पट्टा जारी नहीं किया गया है
-इन तीनों भूखंडों की पत्रावली एसओजी के मांगने पर जेडीए ने भिजवा दी है
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से इस पूरे मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ ही की गई आवश्यक कार्यवाही का भी ब्यौरा मांगा था. इस पर जेडीए का कहना है कि प्रकरण में एसओजी अनुसंधान कर रही है. इसलिए जेडीए स्तर पर कोई कार्यवाही लंबित नहीं हैं इस रिपोर्ट को लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या रिपोर्ट भेजने को लेकर जेडीए ने महज औपचारिकता पूरी की है? आपको बताते हैं कि यह सवाल आखिर क्यों उठ रहा है?
-जेडीए जैसी संस्था के करीब सौ फर्जी पट्टों के मामले सामने आना बहुत गंभीर बात है
-जानकारों के अनुसार फर्जी पट्टों की धोखाधड़ी से आम लोगों को बचाने के लिए जेडीए क्या करेगा
-इसको लेकर कोई ठोस कार्य योजना के बारे में जेडीए को इस रिपोर्ट में जानकारी देनी चाहिए थी
-रिपोर्ट में यह भी बताना चाहिए था कि फर्जी पट्टों की पहचान के लिए किस तरह जेडीए जन जागरूकता करेगा
-यह भी बताना चाहिए था कि जेडीए के पट्टे की हुबहू फर्जी पट्टा तैयार नहीं हो
-इसको रोकने के लिए पट्टे पर यूनिक होलोग्राम जैसे सुरक्षात्मक प्रावधान किए जाएंगे.
फर्जी पट्टों के इस मामले में जेडीए को वाकई कड़े कदम उठाने चाहिए. क्योंकि इस तरह फर्जी पट्टे बनना जेडीए की साख पर भी सवाल है. साथ ही जेडीए जैसी संस्था का सामाजिक उत्तरदायित्व भी है कि वह आमजन को भविष्य में फर्जी पट्टे की धोखाधड़ी से बचाए.