शिक्षक के नाम पर कलंक! 2 साल से कर रहा था टीचर मासूम बच्चों का मानसिक और शारीरिक शोषण, हुआ गिरफ्तार, शिक्षा विभाग ने किया तत्काल निलंबन

चित्तौड़गढ़ (पीके अग्रवाल): राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से आई ये खबर आपको झकझोर देगी. एक शिक्षक ने शिक्षा जैसे पवित्र पेशे को कलंकित कर डाला. बच्चों को गढ़ने वाले इस व्यक्ति ने बच्चों के साथ दो साल तक ऐसा घिनौना खेल खेला, जिसे सुनकर इंसानियत भी शर्मसार हो जाए. आरोपी गिरफ्तार हो चुका है, निलंबन हो चुका है और जांच भी तेज़ी से चल रही है, लेकिन सवाल ये कि ऐसी मानसिकता पर नकेल कैसे कसी जाए ?

चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं उपखंड में एक सरकारी शिक्षक ने भरोसे को तोड़ते हुए बच्चों के साथ अश्लील हरकतें कीं. स्कूल के ही परिसर में आरोपी शिक्षक 12 से 18 वर्ष तक के बच्चों को धमकाकर आपस में अश्लील हरकतें करवाता और उनके वीडियो बनाता था. बच्चों को फेल करने की धमकी देकर वह दो साल से ये शर्मनाक हरकतें कर रहा था. पूरा मामला तब सामने आया जब एक छात्र ने घरवालों से स्कूल की टीसी कटवाने की जिद की. जब परिजन ने कारण पूछा तो पूरा सच सामने आया. परिजनों ने गांव वालों को बताया, फिर आक्रोशित लोग स्कूल पहुंच गए। स्कूल गेट पर ताला जड़ने का प्रयास हुआ. सूचना पर एसडीएम मनस्वी नरेश, थानाधिकारी शिवलाल मीणा और तहसीलदार मौके पर पहुंचे.

गांव तुरकड़ी निवासी आरोपी शिक्षक शंभू लाल धाकड़ करीब 7 वर्षों से इस विद्यालय में कार्यरत था. पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं उसे सौंपी गई थीं. अब सामने आया है कि वह इसी दौरान कई बच्चों के साथ अश्लील हरकतें कर रहा था. उसने बच्चों को मोबाइल से वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करना भी शुरू कर दिया था. बच्चों की पढ़ाई के नाम पर वह उनके साथ अकेले में समय बिताता और फिर घिनौनी हरकतें करता. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आरोपी को राक्षस करार देते हुए कहा है कि ऐसे शिक्षकों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

थानाधिकारी शिवलाल मीणा के अनुसार आरोपी शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट, एससी-एसटी एक्ट, और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. पीड़ित बच्चों के मेडिकल कराए जा चुके हैं और बयान दर्ज हो रहे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी ने आरोपी शिक्षक को निलंबित कर दिया है. साथ ही ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं. चित्तौड़गढ़ से पहुंची जांच टीम ने पीड़ितों से बात कर कार्रवाई शुरू कर दी है. यह मामला सिर्फ एक गांव या एक स्कूल का नहीं है, यह उस सोच का प्रतीक है जो बच्चों की मासूमियत का शोषण करती है. ऐसे लोगों को शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र से बाहर करना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है.