Mangla Gauri Vrat 2024: शुभ योग में होंगे 4 मंगला गौरी व्रत, भगवान शिव और देवी पार्वती की करें पूजा, जल्द होगा विवाह

Mangla Gauri Vrat 2024: शुभ योग में होंगे 4 मंगला गौरी व्रत, भगवान शिव और देवी पार्वती की करें पूजा, जल्द होगा विवाह

जयपुरः इस साल सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हो गई है, और 19 अगस्त 2024 के दिन इसका समापन होगा. इस माह में भगवान शिव की पूजा का विधान है. सावन में मंगलवार के दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस साल सावन महीने का आरंभ 22जुलाई से हो गया है और इस साल सावन पूरे 29 दिनों का होने जा रहा है. इस साल सावन 19 अगस्त को समाप्त होगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार 23 जुलाई को रखा जाएगा. इस बार अधिक मास होने के कारण सावन एक महीने से अधिक का रहेगा. सावन माह के सोमवार को महादेव की पूजा की जाती है, वहीं इस दौरान आने वाले हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. यह उपवास अखंड सुहाग, संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा आदि के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करना बेहद लाभदायक होता है. मंगला गौरी का यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. मान्यता है कि इस उपवास को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली के योग बनते हैं. वहीं कुंवारी लड़किया भी ये उपवास रखती हैं, क्योंकि इससे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
 
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने अखंड सुहाग के लिए धारण करती है. सावन के दूसरे मंगलवार को व्रत धारण से ही इसका नाम मंगला और इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. इसलिए गौरी नाम से प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का खासा महत्व है. माता पार्वती की पूजा अर्चना करना हर स्त्री के लिए सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद होता है.  कुंवारी कन्या अगर गौरी व्रत का धारण करती है तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. तथा विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है. सुहागन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र अर्थात अखंड सौभाग्यवती होने की लालसा में रखती है. 


ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस व्रत की खास मान्यता है कि किसी कन्या का विवाह मंगल (मांगलिक) होने की वजह से नहीं हो रहा है. अर्थात कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और 12वें घर में उपस्थित हो तो मंगल दोष बनता है. ऐसी स्थिति में कन्या का विवाह नहीं हो पाता. इसलिए मंगला गौरी व्रत रखने की सलाह दी जाती है. मंगलवार के दिन मंगला गौरी के साथ-साथ हनुमानजी के चरण से सिंदूर लेकर उसका टीका माथे पर लगाने से मंगल दोष समाप्त हो जाता है तथा कन्या को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.

पहला मंगला गौरी व्रत
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार सावन या श्रावण माह की शुरुआत सोमवार 22 जुलाई से हो रही है. ऐसे में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार 23 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. इस व्रत पर मुख्य रूप से माता पार्वती की उपासना की जाती है.

सावन मंगला गौरी व्रत
पहला मंगला गौरी व्रत - 23 जुलाई
दूसरा मंगला गौरी व्रत - 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत - 6 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत - 13 अगस्त

शीघ्र बनेंगे विवाह के योग
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि यदि किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है तो, इसके लिए मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. इससे मां गौरी प्रसन्न होती हैं. इसके साथ ही व्रत कि दिन मिट्टी का घड़ा बहते नदी में प्रवाहित करने से भी विवाह में आ रही बाधा दूर हो सकती है.

मजबूत होगा मंगल
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मंगला गौरी व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों में लाल मसूर की दाल और लाल वस्त्र आदि दान करने चाहिए. इससे कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और साधक को मंगल दोष के बुरे प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही मां गौरी की पूजा के दौरान 'ॐ गौरी शंकराय नमः' मंत्र का जाप कम-से-कम 21 बार करें. इससे कुंडली में मंगल दोष दूर हो सकता है.

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें. फिर आप एक चौकी लेकर उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं. धीरे-धीरे उसपर मां गौरी की प्रतिमा और व्रत का सभी सामान रख दें. इसके बाद मां मंगला गौरी के समक्ष व्रत का संकल्प करें और आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें. फिर मां गौरी की विधिनुसार पूजा करते हुए उन्हें फल-फूल आदि अर्पित करें. अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए पूजा समाप्त करें.

मंगला गौरी व्रत का महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. साथ ही वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं का भी निवारण होता है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी का व्रत रखने से व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष दूर होता है. इस दौरान महादेव और मां पार्वती की पूजा एक साथ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

मंगला गौरी पूजा के मंत्र
1. सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ..
2. ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा .. 

माता गौरी व्रत कथा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक कथाओं के अनुसार एक नगर  सेठ था और उस सेठ का उस नगर में बहुत सम्मान था. सेठ धन-धान्य से परिपूर्ण था और सुखी जीवन जी रहा था. परंतु सेठ को सबसे बड़ा दुख था कि उसके कोई संतान नहीं थी. सेठ को संतान सुख नहीं होने की वजह से चिंता खाए जा रही थी.  एक दिन किसी विद्वान ने सेठ से कहा कि आपको माता गौरी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. हो सकता है आपको पुत्र सुख की प्राप्ति हो. सेठ ने अपनी पत्नी के साथ माता गोरी का व्रत विधि विधान के साथ धारण किया. समय बीतता गया एक दिन माता गौरी ने सेठ को दर्शन दिए और कहा कि मैं आपकी भक्ति से प्रसन्न हूं आप क्या वरदान चाहते हैं. तब सेठ और सेठानी ने पुत्र प्राप्ति का वर माँगा. माता गौरी ने सेठ से कहा आपको पुत्र तो प्राप्त होगा. परंतु उसकी आयु 16 वर्ष से अधिक नहीं होगी. सेठ सेठानी चिंतित तो थी पर उन्होंने वरदान स्वीकार कर लिया.  कुछ समय बाद सेठानी गर्भ से थी और सेठ के घर एक पुत्र ने जन्म लिया. सेठ ने नामकरण के वक्त पुत्र का नाम चिरायु रखा. जैसे जैसे पुत्र बड़ा होने लगा सेठ और सेठानी की चिंता बढ़ने लगी. क्योंकि 16 वर्ष के बाद उन्हें अपना पुत्र खोना था. ऐसी चिंता में डूबे सेठ को एक विद्वान ने सलाह दी कि अगर आप अपने पुत्र की शादी ऐसी कन्या से कर दें जो माता गौरी की विधिवत पूजा करती है. तो आपका हो सकता है संकट टल जाए. आपकी चिंता खत्म हो जाए. सेठ ने ऐसा ही किया और एक गौरी माता भक्त के साथ चिरायु का विवाह कर दिया. जैसे ही चिराई की उम्र 16 वर्ष हुई तो उसे कुछ नहीं हुआ. धीरे-धीरे वह बड़ा होता चला गया और उसकी पत्नी अर्थात गोरी भक्त हमेशा गौरी माता की पूजा अर्चना में व्यस्त रहा करती थी और उसे अखंड सौभाग्यवती भव का वरदान प्राप्त हो चुका था. अब सेठ और सेठानी  पूर्णता चिंता मुक्त थे.  ऐसे ही माता गौरी के चमत्कारों की कथाओं के चलते इनकी पूजा अर्चना की जाती है. जिससे व्रत धारण करने वाले जातक कभी भी खाली हाथ नहीं रहते.