जयपुरः सीट शेयरिंग को लेकर समझौता नहीं हो पाने के कारण कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी के बीच का गठबंधन खटाई में पड़ गया है. इसके साथ यह तय हो गया है कि BAP और कांग्रेस अपने-अपने उम्मीदवार उतारेंगे, वागड़ और मेवाड़ की सीटों पर अलग अलग चुनाव लडेंगे. इसके साथ BAP नहीं होगी इंडिया गठबंधन में शामिल .देखते है खास रिपोर्ट.
राजस्थान के दक्षिण अंचल की सियासत गर्म है. शायद जैसा बीजेपी चाहती थी कमोबेश वैसा ही मेवाड़ और वागड़ में नजर आ रहा है. कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी के बीच गठबंधन नही होगा, दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर समझौता नहीं हो पाया. भारतीय आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है
दक्षिणी आंचल में गठबंधन की राजनीति विफल होने के बाद कांग्रेस ने अब अलग रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने बांसवाड़ा- डूंगरपुर में अपने अपने उम्मीदवार तलाशने तेज कर दिए है. पूर्व जनजाति कल्याण मंत्री और बांसवाड़ा के विधायक अर्जुन बामनिया के बेटे विकास बामनिया और युवा आदिवासी भगवती का नाम कांग्रेस से चर्चाओं में यहां से पहले ही भारतीय आदिवासी पार्टी ने अपने विधायक राजकुमार रोत को उम्मीदवार बनाया है, दूसरी ओर बीजेपी ने कांग्रेस से लाकर महेंद्रजीत सिंह मालवीय को बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है.. उदयपुर से कांग्रेस और बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं बीजेपी के उम्मीदवार हैं मन्नालाल रावत और कांग्रेस के उम्मीदवार हैं ताराचंद मीना दोनों का ताल्लुक प्रशासनिक सेवाओं से है. ताराचंद मीना उदयपुर के कलेक्टर रह चुके. दोनों को लेकर BAP ने पहले ही आरोप जड़ दिया है कि कांग्रेस और बीजेपी के उदयपुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बाहरी है,हम स्थानीय आदिवासी चेहरे को उम्मीदवार बनाएंगे.
--क्यों नहीं हो पाया BAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन---
-भारतीय आदिवासी पार्टी चाहती थी कांग्रेस उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट दोनों उनको दे
-लेकिन कांग्रेस ने उदयपुर सीट देने के बजाय वहां से उम्मीदवार उतार दिया
-BAP ने भी बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया
-दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को घोषित करके गठबंधन को लेकर पेंच फंसा दिया था
-ऐसा प्रतीत होने लग गया था कि कुछ प्रभावी नेता गठबंधन चाहते ही नहीं थे
-दोनों दलों के कुछ प्रमुख नेताओं की सोच थी कि अगर गठबंधन होता है तो समान विचारधारा वाले वोट नहीं बंटेंगे
-कांग्रेस पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी के लिए बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट छोड़ने को तैयार थी
-लेकिन भारतीय आदिवासी पार्टी ने उदयपुर सीट छोड़ने से इनकार कर दिया
-भारतीय आदिवासी पार्टी चित्तौड़ और राजसमंद सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है
- भारतीय आदिवासी पार्टी के बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा सीट में और उदयपुर लोकसभा सीट में भी विधायक है
- हालांकि BAP विधायकों की संख्या तीन ही है लेकिन उन्हें लगता है कि हर आदिवासी इलाके में उन्हें वोट मिलेंगे
-अकेले चुनाव लड़कर भारतीय आदिवासी पार्टी लगता है राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहती है और राष्ट्रीय पार्टी की योग्यता के लिए भी ऐसा कर सकती है.
---गठबंधन नहीं होने से बीजेपी को लाभ!--
-भारतीय आदिवासी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन होता तो इसका असर गुजरात और एमपी तक भी पड़ सकता था
-फिर भाजपा और गठबंधन के बीच राजस्थान के दक्षिणी अंचल में सीधा मुकाबला होता
-भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रभाव क्षेत्र के वोट कांग्रेस को मिलते हैं
-गठबंधन नहीं हो पाने के कारण अब वोट नहीं मिल पाएंगे और मुकाबलें त्रिकोणीय होंगे
-जनजाति वोट बैंक में बिखराव होगा
-वहीं भारतीय जनता पार्टी को अपना परंपरागत वोट मिलने की पूरी संभावना रहेगी
राजस्थान की सियासत में पिछले 10सालों में आदिवासी पार्टियों ने वागड़ की सियासत को प्रभावित किया. पहले BTP और BAP... बीते विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने पहली ही बार में अपने तीन प्रत्याशी जीता कर आदिवासी इलाके में ताकत दिखाई . इस पार्टी ने अपने पहले चुनाव में आदिवासी बाहुल्य इलाके में 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. उनमें से तीन ने धमाकेदार जीत दर्ज कराई है...वहीं उसके पांच प्रत्याशी ने बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते हुए दूसरे स्थान पर रहे हैं. डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर बीएपी के राजकुमार रोत ने रिकॉर्ड 69 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है, आसपुर विधानसभा पर भी कब्जा जमा लिया है. वहां बीएपी के उमेश मीणा ने 28 हजार 940 वोटों से जीत हासिल की. वागड़ के बाहर आते हुए मेवाड़ के प्रतापगढ़ की धरियावद सीट भी बीएपी ने हथिया ली. भारतीय आदिवासी पार्टी के थावरचंद ने 83,655 मत प्राप्त कर 6691 मतों से जीत दर्ज की है. हालांकि BAP के मोहन लाल रोत को सागवाड़ा सीट पर बीजेपी के नए चेहरे ने चुनाव हरा दिया. BAP ने बीते विधानसभा चुनावों में 1.5 प्रतिशत मत अर्जित किए..खास बात है मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की RLP से अधिक मत मिले..दोनों ही दलों के कारण इन क्षेत्रों में सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस को हुआ है. अब पहली बार राजस्थान में भारतीय आदिवासी पार्टी लोकसभा के चुनावी समर में उतर रही है. ये आदिवासी बहुल मेवाड़ और वागड़ के इलाकों में दोनों ही प्रमुख दलों के लिए खतरे की घंटी है ..समीकरण बिगड़ने तय है किस प्रमुख दल के कितने बिगड़ेंगे ये चुनाव परिणाम से पता चल जायेगा.