VIDEO: राजस्थान में पीक डिमांड के वक्त नहीं होगी बिजली कटौती ! केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में लगाया जाएगा पावर स्टोरेज सिस्टम

जयपुर : प्रदेश की जनता को पीक डिमांड के वक्त बिजली कटौती का अब दंश नहीं झेलना पड़ेगा. केन्द्र के सहयोग ने ऊर्जा विभाग ने सोलर के बढ़ते स्कोप को देखते हुए पावर स्टोरेज सिस्टम की दिशा में काम शुरू कर दिया है. यानी दिन के वक्त पैदा होने वाली अधिक बिजली को बैटरी में स्टोरेज किया जाएगा, जिसका पीक डिमाण्ड के वक्त उपयोग करके पावर क्राइसिस को मैनेजर किया जा सकेगा आखिर क्या है पावर स्टोरेज की प्लानिंग और कैसे धरातल पर उतरेगा प्रोजेक्ट.

राजस्थान की बंजर भूमि अब "ऊर्जा" रूपी सोना उगल रही है. देशभर की बात की जाए तो मरूधरा में सर्वाधिक सौर ऊर्जा की संभावनाएं हैं. खुद केन्द्र सरकार ने राजस्थान में सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता 142 गीगावाट आंकी है. जिसके चलते केन्द्र, दूसरे राज्यों के अलावा सभी बड़ी सोलर कम्पनियों की निगाहें हमारे प्रदेश पर टिकी है. लेकिन इन सबके बीच सोलर एनर्जी को शाम के पीक डिमाण्ड के वक्त उपयोग में लेना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में अब राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सोलर एनर्जी के स्टोरेज की दिशा में काम शुरू कर दिया है. हाल ही में दो हजार के पावर स्टोरेज सिस्टम के लिए बिड आमंत्रित की गई है, जिसमें से केन्द्र सरकार ने एक हजार मेगावाट के लिए वाइबिलिटी गेप फण्डिंग को मंजूरी भी दे दी है.

राजस्थान में सरप्लस बिजली का होगा स्टोरेज !
- 1000 करोड़ रुपए का खर्चा, 270 करोड़ का मिलेगा अनुदान
- बिजली संकट को दूर करने के लिए लगाए जा रहे पावर स्टोरेज सिस्टम
- RVUNL ने एक करोड रुपए प्रति मेगावाट ऑवर मानी है प्रोजेक्ट कोट
- इस हिसाब से 1000 मेगावाट ऑवर के लिए आएगा 1000 करोड़ रुपए का खर्चा
- इसमें से केन्द्र से वीजीएफ के रूप में 270 करोड़ रुपए की मिलेगी मदद
- फिलहाल, निगम ने बिल्डट ऑन ऑपरेट मॉडल पर आमंत्रित की है निविदा
- जिसमें सेवा प्रदाता कम्पनी को ही प्लांट लगाना और ऑपरेट करना होगा
- इसके एवज में उसे VGF के अलावा प्रति यूनिट की दर पर भुगतान किया जाएगा

दो जीएसएस, दो पावर प्लांट पर लगेगा सिस्टम
- प्रदेश में पावर स्टोरेज सिस्टम के चार जगह चिन्हित
- बतौर नोडल एजेंसी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने चिन्हित की जगह
- सूत्रों के मुताबिक प्रसारण निगम के जयपुर हीरापुरा-कोटा सकतपुरा जीएसएस
- जबकि बाडमेर के गिरल प्लांट, सूरतगढ़ प्लांट को किया गया है सिस्टम के लिए चिन्हित
- हालांकि, बिड के बाद ही फाइनल होगी राजस्थान में प्लांट के लिए जगह

पावर स्टोरेज सिस्टम को धरातल पर उतारने की कमान खुद एसीएस एनर्जी आलोक ने संभाल रखी है. एसीएस आलोक ने कहा कि सौर ऊर्जा के साथ बिना स्टोरेज के पीक डिमाण्ड को मीट करना मुश्किल है. बैटरी स्टोरेज के लिए पूरे देश में प्रयास चल रहा है. हमें केन्द्र सरकार से एक हजार मेगावाट ऑवर के लिए वीजीएफ मिला है, लेकिन हम दो हजार मेगावाट की बिड ऑफर कर रहे है. केन्द्र से भी प्रयास जारी है कि वीजीएफ का दायरा बढ़ाया जाए. इस परियोजना के लिए प्री बिड हो चुकी है. उम्मीद है कि एक-दो माह में बिड फाइनल होगी. ऐसे में राजस्थान के लिहाज से देखे तो स्टोरेज सिस्टम की काफी अहम भूमिका रहेगी.