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धर्म के नाम पर आतंक में झोंकने का सच बयां करती हैं 72 हूरें, रोंगटे खड़े कर देंगे सीन
धर्म के नाम पर लोगों को बरगला कर भड़काना और गलत रास्ते पर ले जाना यह इन दिनों कुछ आम हो चुका है और कई फिल्में हैं जो इस बात को बड़े पर्दे के जरिए दर्शकों के सामने पेश कर रही है। द केरल स्टोरी के बाद इस तरह के मुद्दे पर बनाई गई फिल्म 72 हूरें रिलीज हो गई है जो अलग ही अंदाज में आतंकवादियों पर कड़ा प्रहार करती दिखाई दे रही है।
ऐसी है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो इसे अनिल पांडेय ने लिखा है और धार्मिक भावनाएं आहत ना हो इस बात का पूरी तरीके से ध्यान रखा गया है। यह दो युवाओं की कहानी है जो एक मौलाना की बातों में आ जाते हैं और मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया पर आत्मघाती हमला करने के लिए तैयार हो जाते हैं। वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें यह लालच दिया जाता है कि जेहाद के बाद उन्हें जन्नत नसीब होगी। जहां पर 72 हूरें उनका स्वागत सत्कार करेंगी। उनके अंदर 40 लोगों की ताकत समा जाएगी और अल्लाह के फरिश्ते साया बनकर उनकी रक्षा करेंगे।
इन्हीं बातों में आकर यह दोनों नौजवान अपनी जान गवा देते हैं। लेकिन फिर इनकी रूह उस सच का सामना करती है, जो उन्हें बताई गई बातों से बिल्कुल अलग है। हालत ये हो जाती है कि उनके शवों को नमाज भी नसीब नहीं होती। उन्हें लगता है कि अगर ऐसा होगा तो जन्नत के दरवाजे उनके लिए खुलेंगे, लेकिन 169 दिन गुजर जाते हैं और इनकी रूह के साथ जो कुछ होता है, वह इस पूरी फिल्म में दिखाया गया है।
ब्रेनवॉश का पर्दाफाश
फिल्म में यह दिखाया गया है कि किस तरह लोगों को बहला-फुसलाकर उनके दिमाग की ब्रेनवाशिंग कर उन्हें आतंकवाद की आग में झोंक दिया जाता है। लेकिन हिंसा के खेल का आखिर में जो अंजाम होता है वह 72 हूरें में बखूबी से दिखाया गया है।
डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी
संजय पूरन सिंह ने इस फिल्म का निर्देशन किया है और वह अपने काम में पूरी तरह से खरा उतरे हैं। फिल्म में कुछ झकझोर कर रख देने वाले सीन भी हैं। वहीं बम ब्लास्ट के सीन इस तरह से फिल्माए गए हैं कि किसी का भी दिल दिमाग हिल सकता है। हर सीन और फ्रेम पर बहुत मेहनत की गई है और कहानी देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े होने वाले हैं।
ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा
इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि शानदार वीएफएक्स के साथ ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा का आनंद लेने का मौका भी मिलने वाला है। भटकती रूहों की कहानी के हिसाब से ये आईडिया बिल्कुल जम रहा है।
एक्टिंग
फिल्म के कलाकारों की एक्टिंग की बात करें तो आमिर बशीर और पवन मल्होत्रा ने शानदार काम किया है। पूरी कहानी इन दोनों कलाकारों के इर्द-गिर्द घूमती है और अपने अभिनय से इन्होंने कहानी को पर्दे पर बखूबी पेश किया है।