Rajasthan: शिक्षा की ये कैसी तस्वीर; स्कूल का भवन जर्जर, पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर देश का भविष्य

Rajasthan: शिक्षा की ये कैसी तस्वीर; स्कूल का भवन जर्जर, पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर देश का भविष्य

डूंगरपुर: राजस्थान सरकार आदिवासी इलाकों में शिक्षा का स्तर सुधारने पर विशेष ध्यान देने और स्कूलों में सुवधाए उपलब्ध कराने का दावा करती है. लेकिन आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में सरकार के ये दावे खोखले नजर आ रहे है. डूंगरपुर जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय आंबिया फला में स्कूल भवन जर्जर होने के चलते पेड़ के नीचे बच्चो की क्लास लगती है. जहां बच्चे मवेशियों के बीच बैठकर पढ़ाई करते है. वही शिक्षको की कमी से भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. 

ये तस्वीर है डूंगरपुर जिले की ग्राम पंचायत रोहनवाडा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय आंबिया फला की. यहां बच्चो की क्लास, क्लास रूम में नही बल्कि स्कूल परिसर में स्थित आम के पेड़ के नीचे लगती है जहां बच्चों के आस पास गाय, बकरी और कुत्ते विचरण करते नजर आते है. इसका कारण स्कूल भवन जर्जर हो चुका है और संभावित हादसे से बचने के लिए शिक्षक बच्चो को खुले में पढ़ा रहे है. बच्चो का कहना है कि कक्षा एक से 8 तक की स्कूल में केवल 3 कमरे है और उसमे से भी एक कमरा घटिया निर्माण के चलते नाकारा हो चुका है. बच्चों ने बताया कि खुली क्लास में मवेशियों के विचरण से उनका ध्यान भटकता है वही कई बार मवेशी उनकी किताबों व अन्य सामान को नुकसान पहुंचा देते है.

कमरो के साथ शिक्षको की भी कमी
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय आंबिया फला में कक्षा एक से 8 तक 158 विद्यार्थी पढ़ते है. भवन के अभाव में शिक्षक कक्षा एक से 5 तक के बच्चो को 2 कमरों में बैठाकर पढ़ाते है वही कक्षा 6 से 8 तक के बच्चो की क्लास पेड़ के नीचे लगती है. इधर स्कूल में 10 शिक्षको के पद स्वीकृत है लेकिन हेड मास्टर सहित 6 पद भरे हुए है. ऐसे में शिक्षको की कमी से भी बच्चो की पढ़ाई प्रभावित रहती है. समस्या को लेकर हेड मास्टर और अभिभावक मिलकर नेताओ से लेकर अफसरों के दफ्तरों के कई चक्कर काट चुके है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से बच्चो का भविष्य अंधकार मय हो रहा है.

डूंगरपुर जिले में कई स्कूलों के हालात आंबिया फला के सरकारी स्कूल जैसे है. कहीं शिक्षकों की कमी तो कहीं भवन की कमी. अगर भवन भी हैं तो वह जर्जर हालत में है. जिसके चलते बच्चो और शिक्षकों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार आदिवासी इलाकों में विकास और सुविधाएं देने के नाम पर भारी भरकम बजट खर्च करती है लेकिन धरातल पर इस बजट का पूरा लाभ लोगो को नहीं मिल पा रहा है. खेर अब देखने वाली बात होगी कि इस स्कूल को सुध शिक्षा विभाग कब तक लेता है.