जयपुर: महिलाओं को आरक्षण देने का बिल (Women Reservation Bill) लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है. आने वाले कुछ वर्षों में राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना तय है, लेकिन राजस्थान में अभी भी सीमित संख्या में ही महिला विधानसभा तक पहुंच रही है. राजस्थान की राजनीति में महिलाओं की मौजूदगी को लेकर देखिए फर्स्ट इंडिया की ये स्पेशल रिपोर्ट. हाल ही में भारत सरकार ने महिलाओं को आरक्षण के लिए दोनों सदनों में बिल पास कराया है, जिसके बाद राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर कई तरह की चर्चा चल रही है, लेकिन राजस्थान देश के उन राज्यों में शामिल है जहां की राजनीति में महिलाओं का काफी दबदबा देखने को मिला है. प्रदेश में जहां महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं तो वहीं विधानसभा की स्पीकर भी महिला नेता रह चुकी हैं. इसके साथ ही प्रदेश में उपमुख्यमंत्री के पद पर भी महिला नेता ने सफल कार्यकाल पूरा किया है. मौजूदा समय में भी प्रदेश में ऐसी कई महिला नेता है जो अपने बलबूते पर विधानसभा में प्रखरता से अपनी आवाज रख रही है,लेकिन काफी समय से राजस्थान में महिला विधायकों का आंकड़ा 30 के पार नहीं जा पाया है.
आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में उम्मीद की जा रही है कि दोनों पार्टियों की ओर से अच्छी संख्या में महिलाओं को उम्मीदवार बनाया जाएगा. राजस्थान साल 2018 के विधानसभा चुनाव में इस बार 23 महिला विधायकों ने चुनाव जीता था लेकिन चार महिलाएं ऐसी भी रही जिन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की और उसके बाद राजस्थान में महिला विधायकों की संख्या 27 तक पहुंच गई. राजस्थान में अलवर में रामगढ़, भीलवाड़ा में सहाड़ा, उदयपुर में वल्लभनगर, झुंझुनू में मंडावा ऐसी सीटें थी जहां 2018 के चुनाव में पुरुष विधायक बने थे लेकिन उपचुनाव के बाद इन सभी सीटों पर महिला विधायक बनी. साल 2013 में 28 महिलाएं विधायक के रूप में विधानसभा पहुंची थीं. 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जहां कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया. वहीं बीजेपी ने 23 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया था. इनमें से कांग्रेस की 11 और बीजेपी की 10 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
बीते कुछ चुनावों में कैसा रहा महिलाओं का प्रदर्शन:
साल 1998 का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 69 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, इनमें से 44 की जमानत जब्त हो गई थी. 14 महिलाएं विधायक बनीं. साल 2003 में 118 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन 76 की जमानत जब्त हो गई. 12 महिलाएं ही विधायक चुनी गईं. साल 2008 का विधानसभा चुनाव 154 महिलाओं ने लड़ा, इनमें से 95 की जमानत जब्त हो गई. 28 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची. साल 2013 का विधानसभा चुनाव 166 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, इनमें 105 की जमानत जब्त हो गई. सिर्फ महिलाएं ही 28 विधायक बन सकीं. साल 2018 के चुनावी मैदान में 189 महिलाएं उतरी, लेकिन 138 की जमानत जब्त हो गई. 27 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची.
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. पिछले पांच साल के आंकड़े पर नजर डालें तो प्रदेश की तमाम राजनीतिक पार्टियां मिलकर भी 200 महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं देती हैं. साल 2018 में सभी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलाकर 189 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. लेकिन, महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद प्रदेश की सभी पार्टियों को कम से कम 66 सीटों पर महिलाओं को टिकट देने ही पड़ेंगे. राजस्थान की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन अब भी यह काफी कम है. वर्तमान में प्रदेश में सिर्फ 27 महिला विधायक हैं. हालांकि, साल 1952 में हुए पहले चुनाव में प्रदेश में सिर्फ दो महिलाएं यशोदा देवी और कमला बेनीवाल ही विधायक बनीं थी.
शुरुआती चुनाव में महिला विधायकों की संख्या इकाई में ही गिनी जाती रही. साल 1985 के चुनाव में पहली बार 17 महिलाएं विधायक चुनी गईं. इसके बाद साल 2008 में 28 महिलाएं विधायक बनीं और यही आंकड़ा 2013 के चुनाव में भी कायम रहा, लेकिन, साल 2018 के चुनाव में यह आंकड़ा एक फिर नीचे आया. साल 2003 के बाद पहली बार भाजपा ने 2018 में कांग्रेस से कम महिलाओं को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया. इस दौरान कांग्रेस ने 27 तो भाजपा ने 23 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था. इससे पहले साल 2013 में भाजपा ने 26, कांग्रेस ने 24, 2008 में भाजपा ने 31, कांग्रेस ने 23, 2003 में भाजपा ने 22, कांग्रेस ने 18 महिलाओं को विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था. साल 1998 में कांग्रेस ने 12 और भाजपा ने आठ महिलाओं को पार्टी का टिकट दिया था.