जयपुर: अघोर साधना से लेकर तंत्र साधना, मंत्र साधना और दसमहाविद्या साधनाओं से लेकर योगिक क्रियाओं का जिक्र सुना होगा. अघोरी नाम सुनकर कई तरीके की कल्पनाएं भी दिमाग में आ जाती है. फर्स्ट इंडिया न्यूज पर हम आज ऐसे ही एक अघोरी की कहानी बताएंगे जिसे सुनकर आप भी विस्मय से भर जाएंगे.
यह है झुंझुनू के मुकुंदगढ़ के कुंभनाथ आश्रम के बाबा अघोरी शैलेंद्रनाथ की कहानी. एक हरे बदन के इन बाबा को देखकर आप सोच रहे होंगे की इनका यह शरीर इस तरीके से इतना लचीला क्यों है. इनका जवाब आता है कि इन्होंने बरसों से अन्न ग्रहण नही किया और ना ही प्रत्यक्ष रूप से जल का सेवन करते हैं. बल्कि चाय या फिर छाछ का सेवन कर लेते हैं.
योग की इन क्रियाओं का कोई गुरु ही नहीं है. इनकी दलील है कि अपने शरीर को इस तरीके से तोड़ना और मोड़ना वह बचपन में ही सीख गए थे. कहानी यहीं खत्म नहीं होती यह योग की कठिन तम क्रियाएं मानी जाने वाली धोती क्रिया से लेकर जलनेति और अन्य क्रियाओं को भी बखूबी कर लेते हैं.
शीर्षासन का इनका यह अंदाज देखकर आप सोच रहे होंगे कि यह किसी योग गुरु से सीखा है. बल्कि इनका जवाब है कि यह तमाम तरीके की योग की क्रिया है जिनमें तमाम आसन शामिल है उन्हें वह स्वयं ही करते आए हैं. मुकुंदगढ़ में इन बाबा का इन दिनों अनुष्ठान चल रहा. जहां संत कुंभ नाथ की समाधि पर प्रतिवर्ष आयोजन होता है.