मुंबई: महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र ने कोरोना वायरस टीकों की समान कीमत की मांग पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया. राजेश टोपे ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सूचित किया है कि वह राज्यों को कोविशील्ड टीके 24 मई के बाद ही मुहैया करा सकता है, क्योंकि केंद्र ने तब तक के पूरे उत्पादन को आरक्षित कर लिया है.
एक राष्ट्र-एक कीमत की मांगः
राजेश टोपे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों के साथ हुई डिजिटल बैठक में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से कहा कि सभी बड़े राज्यों ने टीकों के लिए ‘एक राष्ट्र-एक कीमत’ की मांग की है, लेकिन उन्हें केंद्र से कोई ठोस जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि हमारे पास इजराइल या ब्रिटेन के उदाहरण हैं, जहां बड़े स्तर पर टीकाकरण हुआ है. यदि दाम कम कर दिए जाते हैं, तो हम और टीके खरीद सकते हैं.
राज्य गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों कीलेगा जिम्मेदारीः
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यदि मांग पूरी नहीं होती है, तो राज्य गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों की जिम्मेदारी लेगा, जबकि अन्य लोगों एवं कॉरपोरेट घरानों को टीकाकरण की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी. विपक्षी दलों ने सवाल किया है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के कोविशील्ड टीके को केंद्र ने 150 रुपए प्रति खुराक की दर पर खरीदा है, लेकिन राज्य को प्रति खुराक 400 रुपए क्यों देने होंगे.
महाराष्ट्र में करीब पांच करोड़ लोग 18 वर्ष से 44 वर्ष की आयु केः
टोपे ने कहा कि केंद्र ने राज्यों से 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के लोगों का टीकाकरण करने को कहा है और महाराष्ट्र में करीब पांच करोड़ लोग इस आयुवर्ग में आते हैं, इसलिए राज्य को 10 करोड़ से अधिक खुराकों की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि राज्य के वित्त विभाग को टीके की कीमत के कारण पड़ने वाले बोझ का अध्ययन करना होगा और उसी के आधार पर फैसला करना होगा. टोपे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार भारत बॉयोटेक (कोवैक्सीन निर्माता) से भी बात करेगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 4,000 टीका केंद्र और पर्याप्त प्रशिक्षित मानवबल है, लेकिन ‘‘एकमात्र समस्या टीकों की वास्तविक आपूर्ति है, जो सीमित है. टोपे ने कहा कि राज्य दैनिक आधार पर आठ लाख लोगों को टीका लगा सकता है, लेकिन इस समय केवल तीन लाख लोगों को रोजाना टीका लग रहा है.
सोर्स भाषा