जयपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़ के महीने में पड़ती हैं. शरद और चैत्र के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए विशेष होती है वहीं माघ और आषाढ़ के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि तांत्रिकों व अघोरियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. इन 9 दिनों में भक्त मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहते हैं तथा दिन-रात उनकी उपासना करते हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं, जिसका समापन 17 अप्रैल होगा. .
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाता है. चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी. खास बात ये है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं. इस समय में घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध हो सकता है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है. हालांकि कि गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता ज्यादा है. इस नवरात्रि माता भक्तों को दर्शन देने के लिए घोड़े में सवार होकर आ रही हैं. शक्ति का स्वरुप माने जाने वाली माता दुर्गा को समर्पित यह 9 दिन बेहद कल्याणकारी होते हैं. इन 9 दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और पूरे भारत में भक्ति और उल्लास का माहौल रहता है.
घटस्थापना तिथि: - 9 अप्रैल
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है जो चंद्रमा का प्रतीक हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी बुरे प्रभाव और शगुन दूर होते हैं. इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए.
द्वितीया तिथि: - 10 अप्रैल
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है और नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को प्रदर्शित करती हैं और जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सच्चे दिल से करता है उसके सभी दुख, दर्द और तकलीफें दूर हो जाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े पहनें.
तृतीया तिथि: - 11 अप्रैल
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है जो शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. इनकी पूजा करने से शक्ति का संचार होता है तथा हर तरह के भय दूर हो जाते हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा में ग्रे रंग का कपड़ा पहनें.
चतुर्थी तिथि: - 12 अप्रैल
शरद नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है जो सूर्य देव को प्रदर्शित करती हैं. चतुर्थी तिथि पर संतरे रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से भविष्य में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं.
पंचमी तिथि: - 13 अप्रैल
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली माता मां स्कंदमाता की पूजा शरद नवरात्रि के पांचवें दिन होती है. जो भक्त मां स्कंदमाता की पूजा करता है उसके ऊपर मां की विशेष कृपा बरसती है. पंचमी तिथि पर सफेद रंग का कपड़ा पहना अनुकूल माना जाता है.
षष्ठी तिथि: - 14 अप्रैल
नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी को समर्पित है. इस दिन लाल कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करें जो बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां कात्यायनी की पूजा करने से हिम्मत और शक्ति में वृद्धि होती है.
सप्तमी तिथि: - 15 अप्रैल
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है जो शनि ग्रह का प्रतीक हैं. मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों में वीरता का संचार होता है. सप्तमी तिथि पर आपको रॉयल ब्लू रंग के कपड़े पहनने चाहिए.
अष्टमी तिथि: - 16 अप्रैल
अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा करने का विधान है. इस दिन गुलाबी रंग का कपड़ा पहनना मंगलमय माना जाता है. माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और अपने भक्तों के जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं.
नवमी तिथि: - 17 अप्रैल
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मां सिद्धिदात्री राहु ग्रह को प्रदर्शित करते हैं जिनकी पूजा करने से बुद्धिमता और ज्ञान का संचार होता है. नवमी तिथि पर आपको पर्पल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए.