भौगोलिक सीमाओं में किसी भी तरह के विस्तार में मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है- जगदीप धनखड़

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि किसी भी तरह के विस्तार व विशेषकर भौगोलिक सीमाओं के विस्तार में मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल होता है. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत कभी इस तरह की नीति में विश्वास नहीं करता है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के स्थापना दिवस पर यहां आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय लोकाचार ऐसा है कि देश की चिंता सिर्फ अपने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया की परवाह करता है. धनखड़ ने कहा कि ऐसा कोई देश नहीं है जो हमारे इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सके. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने कभी विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं किया है. 

विशेषकर भौगोलिक सीमाओं में किसी भी तरह के विस्तार में चरम स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन शामिल होता है. इस राष्ट्र (भारत) ने ऐसा कभी नहीं किया है. अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक अवधारणा के तौर पर मानवाधिकार को केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के संरक्षण के सीमित अर्थ में नहीं समेटा जा सकता है. इन्हें व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझना होगा. सोर्स- भाषा