नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कैबिनट की बैठक में त्योहारों के पहले केंद्रीय कर्मचारियों और गरीबों के लिए बड़े फैसले लिए हैं. सरकार ने बुधवार को गरीबों को मुफ्त अनाज देने की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि तीन माह यानी दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है. इसपर 44,700 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
माना जा रहा है कि महंगाई से गरीबों को कुछ राहत देने के अलावा गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह निर्णय किया गया है. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि योजना शुक्रवार को समाप्त हो रही थी. इसे अक्टूबर से दिसंबर, 2022 तक के लिये बढ़ाया गया है. योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को पांच किलो गेहूं और चावल हर महीने दिया जाता है. कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से प्रभावित गरीबों को राहत देने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अप्रैल, 2020 में लायी गयी थी.
केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों के लिए चार प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता एवं राहत की किस्त जारी की जायेगी:
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों के लिए चार प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता (डीए) एवं राहत की किस्त जारी करने को अनुमति दे दी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददातओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमति दी गई. उन्होंने कहा कि यह किस्त एक जुलाई 2022 से लागू होगी.
उन्होंने बताया कि इसके तहत केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों के लिये चार प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता एवं राहत की किस्त जारी की जायेगी. इस पर सालाना सरकारी खजाने पर 12,852 करोड़ रूपये का बोझ पड़ेगा. ठाकुर ने बताया कि इस निर्णय को लागू करने में जुलाई 2022 से फरवरी 2023 तक आठ महीने की अवधि में 8,588 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से खर्च होंगे.