कंपनी क्षेत्र को तोहफा नहीं दे रहे, निर्माण क्षेत्र को गति देना है मकसद - वित्त मंत्री सीतारमण

नई दिल्ली: कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा लक्षित ढंग से राहत प्रदान करने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था के मंदी में नहीं जाने का दावा करते हुए बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कंपनी क्षेत्र को करों में राहत देने की नीति का बचाव किया और कहा कि यह राहत इस क्षेत्र को कोई तोहफा नहीं है, बल्कि विनिर्माण क्षेत्र को बढा़वा देने के लिए है.

वित्त मंत्री ने राज्यसभा में अनुदान की अनुपूरक मांगों और अतिरिक्त मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को संसद में लाना कोई असामान्य बात नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार सरकार एक बार, कभी दो बार या तीन बार यह मांग लेकर आती है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस बार सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में पहली बार अनुपूरक मांगें लेकर आयी है और यह बजट अनुमान के मात्र आठ प्रतिशत के बराबर है. उन्होंने कहा कि पूर्व में यह बीस प्रतिशत तक लाया गया था और उसे देखते हुए तथा वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मंदी को देखते हुए यह, मांगों की कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है.

सीतारमण ने कहा कि हम यह मांगें इसलिए लेकर आये हैं क्योंकि सरकार ने जनवरी या फरवरी में बजट बनाने के दौरान कुछ बातों का अनुमान नहीं लगाया था. उन्होंने हालांकि कहा कि 11.1 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान जनवरी 2021-22 में लगाया गया था. उन्होंने कहा कि जब सरकार इस साल का बजट बना रही थी तब दुनिया भर में माना जा रहा था कि महामारी के प्रभाव घट रहे हैं और सुधार के जो कदम उठाये जा रहे हैं उनसे अर्थव्यवस्था सुधार के पथ पर आगे बढ़ेगी.

सीतारमण ने कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी 2022 की अपनी एक रिपोर्ट में भारत में नौ प्रतिशत से अधिक की विकास दर रहने का अनुमान व्यक्त किया था. उन्होंने कहा कि इसके बाद फरवरी के अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया जिससे अड़चने पैदा हो गयीं, विशेषकर अनाज एवं ऊर्जा आपूर्ति के क्षेत्र में.

वित्त मंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सरकार अनुदान की जो अनुपूरक मांगें लेकर आयी है वह खाद्य सुरक्षा, उर्वरकों के लिए है जो किसानों के लिहाज से अति महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इन अनुपूरक मांगों का लक्ष्य यही है कि अर्थव्यवस्था में किसानों, गरीबों सहित सभी वर्गों को समुचित सहयोग दिया जा सके. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि चर्चा में अधिकतर सदस्यों ने इन मांगों का समर्थन किया है.

सरकार सितंबर 2021 में ही इस बात की घोषणा कर चुकी थी:
उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा चर्चा के दौरान धन जुटाने को लेकर किए गए प्रश्नों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार सितंबर 2021 में ही इस बात की घोषणा कर चुकी थी कि उसके उधारी कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी उधार योजना नहीं बदलेंगे.’’ सोर्स- भाषा