UP By-Election Results: मैनपुरी लोकसभा और रामपुर सदर, खतौली विधानसभा सीटों पर शांतिपूर्ण मतगणना शुरू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर सदर तथा खतौली विधानसभा सीटों के उपचुनाव की मतगणना का काम बृहस्पतिवार सुबह शांतिपूर्ण माहौल के बीच शुरू हो गया.

दोपहर बाद तक नतीजे आने की संभावना:
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, मतगणना सुबह आठ बजे आरंभ हुई और दोपहर बाद तक नतीजे आने की संभावना है. इन उपचुनावों के लिए पिछली पांच दिसंबर को मतदान हुआ था. इस दौरान मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में 54.01 प्रतिशत, खतौली विधानसभा क्षेत्र में 56.46 फीसदी और रामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में 33.94 प्रतिशत वोट पड़े थे.

 

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण सीट रिक्त होने की वजह से कराया गया है. वहीं, रामपुर सदर और खतौली विधानसभा सीटों का उपचुनाव क्रमशः सपा विधायक आजम खां और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विक्रम सिंह सैनी को अलग-अलग मामलों में सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता निरस्त होने के चलते कराया गया है.

कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे:
इन उपचुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा और सपा-राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इस साल जून में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में अपनी स्तब्धकारी पराजय के बाद सपा के लिए मैनपुरी लोकसभा और रामपुर सदर विधानसभा सीट का उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. वहीं, खतौली सीट पर चुनाव लड़ रहे सपा के सहयोगी रालोद के लिए भी यह प्रतिष्ठा का सवाल है.

उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य से मुकाबला है:
मैनपुरी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का भाजपा उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य से मुकाबला है. शाक्य पूर्व में अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव के करीबी थे. वह इस साल की शुरुआत में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे. वहीं, रामपुर सदर विधानसभा के उपचुनाव में सपा ने आजम खां के करीबी आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है.

भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा:
खतौली उपचुनाव में निवर्तमान विधायक विक्रम सिंह सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं. उनका मुकाबला रालोद के मदन भैया से है. हालांकि, इन उपचुनावों के नतीजों का केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन हार-जीत का मनोवैज्ञानिक प्रभाव वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. सोर्स-भाषा