वाशिंगटन: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की हाल में संपन्न सालाना बैठकों में भारत समेत कई देशों ने विकसित देशों के राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों के ‘वैश्विक’ प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है.
देशों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय सुरक्षा उपाय करने चाहिए:
सीतारमण ने कहा कि उन्होंने यहां अपनी बैठकों के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. इस सप्ताह की शुरुआत में सीतारमण ने कहा था कि निकट भविष्य में विकसित देशों को अपने राजनीतिक और आर्थिक फैसलों के वैश्विक प्रभाव की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और महज अपने लोगों के नैतिक और लोकतांत्रिक दायित्वों को पूरा करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय सुरक्षा उपाय करने चाहिए.
बहुपक्षीय बैठकों के दौरान भी यह मुद्दा उठाया:
उनकी यह टिप्पणियां ऐसे वक्त में आयी है जब अमेरिका की अगुवाई में पश्चिम देशों ने रूस से तेल का आयात कम कर दिया है और वह अन्य देशों को भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उन्होंने रूस से तेल खरीदा तो उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. सीतारमण ने शनिवार को यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूहों के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने अपनी द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय बैठकों के दौरान भी यह मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा कि मैंने किसी एक मंत्री या उनकी प्रतिक्रिया पर गौर नहीं किया लेकिन मैंने यह कहा. संयोग से एक अलग बैठक में श्री मुल्यानी (इंद्रावती, इंडोनेशिया के वित्त मंत्री) ने भी यह मुद्दा उठाया. शायद एक या दो देशों ने भी यह मुद्दा उठाया. अगर मैं गलत नहीं हूं तो संभवत: नाइजीरिया के वित्त मंत्री ने भी आवाज उठायी. सीतारमण 11 अक्टूबर से अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा पर हैं. आईएमएफ तथा विश्व बैंक की सालाना बैठकों में भाग लेने के अलावा उन्होंने यात्रा के दौरान कई देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं. सोर्स-भाषा