जयपुर: आमतौर पर एलर्जी की दिक्कत में उपयोग ली जाने वाली "एविल" दवा का दुरूपयोग नशे की डोज के रूप हो रहा है. जी हां, ये कोई हमारा अनुमान नहीं, बल्कि ड्रग डिपार्टमेंट-सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की राजधानी में हुई संयुक्त कार्रवाई की बानगी है.इतना ही नहीं, NDPS श्रेणी की दवाओं का भी अवैध तरीके से बेचान का खुलासा हुआ है.सबसे आश्चर्यजनक बाद ये है कि इस अवैध कारोबार में एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक भी भूमिका भी संदिग्ध मिली है, जिसकी सेन्ट्रल एजेंसी ने गहनता से पड़ताल शुरू कर दी है.आखिर क्या है नशे का ये नया तरीका और विभाग ने कैसे कंसा शिकंजा, चलिए जानते है एक्सक्लुसिव रिपोर्ट....
जिन दुकानों पर मिलती थी हर मर्ज की दवा, अब वहां बेची जा रही मर्ज बढ़ाने की दवा."दवा" ऐसी कि जिसको लेते ही इंसान बर्बादी की तरफ बढ़ जाए.इस अवैध कारोबार के चलते एक तरफ जहां कई परिवार बर्बाद हो गए, वही दूसरी ओर राजधानी की पहचान अब "उड़ता जयपुर" के रूप में होने लगी है.इसका खुलासा उस समय हुआ, जब ड्रग डिपार्टमेंट और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स ने लगातार मिल रही शिकायतों के बाद एक नहीं, डेढ़ दर्जन से अधिक मेडिकल दुकानों पर छापेमारी की.तो कुछ सामने आया, जिसके बाद दोनों की एजेंसियों के अफसरों कान खड़े हो गए.
जांच में सामने आया कि इन दुकानों पर एविल इंजेक्शन का सेल दिनोंदिन बढ़ रही है.जो साफ तौर पर दुरूपयोग की ओर इशारा करती है.जांच में मिले इनपुट के बाद जब औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने स्वीकारा कि कुछ थोक विक्रेता राज्य में सीएंडएफ एजेंट होने के बावजूद बाहर की फर्म से इंजेक्शन की खरीद कर रहे हैं. ऐसे विक्रेता एक साल में खुदरा विक्रेताओं से लेकर करीब 20 हजार एविल इंजेक्शन की बिक्री कर चुके हैं. बिना विक्रय बिल जारी किए इंजेक्शन बिना चिकित्सक की पर्ची के ही बेचे जा रहे हैं. इससे इंजेक्शनों का नशे के रूप में दुरुपयोग करना प्रमाणित हुआ है.
संदिग्ध भूमिका में नामी चिकित्सक !:
-ड्रग डिपार्टमेंट-सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की संयुक्त कार्रवाई
-जयपुर में एक दर्जन से अधिक जगहों पर कार्रवाई में बड़ा खुलासा
-चांदपोल बाजार स्थित राजस्थान मेडिकल एंड प्रोविजन स्टोर पर मिला इनपुट
-तो कमिश्नर (ड्रग) पुखराज सेन- ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक के निर्देशन में
-टीम ने मालवीय नगर स्थित मनो चिकित्सक के यहां भी मारा छापा
-चिकित्सक के घर बगैर लाइसेंस के रखी मिली NDPS श्रेणी की दवाएं
-हालांकि, इस पूरे मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स ने जब्त किया रिकॉर्ड
-पड़ताल के बाद ही पूरे मामले में सेन्ट्रल एजेंसी स्थिति करेगी स्पष्ट
-राजस्थान मेडिकल एंड प्रोविजन स्टोर पर मिला ये स्टॉक
-एनडीपीएस एक्ट के तहत सूचीबद्ध एल्प्रजॉलम, ट्रॉमाडोल,
-कोडीन और ब्यूप्रिनॉरफिन एवं नेलॉक्सॉन घटक युक्त दवाइयों का मिला है स्टॉक
-जिसका दवा दुकानदार ने मौके पर खरीद बिल भी नहीं किया प्रस्तुत
इस पूरे हाई प्रोफाइल मामले में औषधि नियंत्रक संगठन ने कार्रवाई के बाद अब गेंद सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स के पाले में डाल दी है.औषधि नियंत्रक अजय फाटक से जब स्टॉक समेत अन्य बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने ये कहते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया कि पूरा स्टॉक सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स ने जब्त किया है.सेन्ट्रल एजेंसी ही इस पूरे मामले को देख रही है.दवा दुकाओं पर हुई कार्रवाईयों ने एकबार फिर साबित कर दिया है कि राजधानी में नशे का कारोबार कितना फलफूल रहा है.ऐसे में नशे के इस कारोबार की जड़ें कहां-कहां तक फैली है और इस खेल में कौन कौन शामिल है, इसको लेकर सरकारी एजेंसियों की सक्रियता काफी जरूरी हो गई है, ताकि जयपुर को नशे में उड़ने से बचाया जा सके.