जयपुर: आज देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा या विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है. इस बार दशहरा सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जा रहा है. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 5 अक्टूबर को रवि योग 5 अक्टूबर को सुबह 06:30 से रात 09:15 तक, सुकर्मा योग 4 अक्टूबर सुबह 11:23 से अगले दिन 5 अक्टूबर सुबह 08:21 तक, धृति योग 5 अक्टूबर सुबह 08:21 से अगले दिन 6 अक्टूबर सुबह 05:18 तक रहेगा.
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया था. इसके साथ ही इस दिन ही मां दुर्गा नें असुर महिषासुर का भी वध किया था. इस कारण ही इस दिन भगवान राम के साथ मां दुर्गा के भी पूजन का विधान है. दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस पर्व को मनाने के पीछे दो कहानियां हैं. भगवान राम ने इसी दिन रावण को मारकर लंका पर विजय पाई थी और अपनी पत्नी सीता को वापस लेकर आए थे. वहीं दूसरी कहानी के अनुसार मां दुर्गा ने इसी दिन राक्षस महिषादुर को मारकर देवताओं की रक्षा की थी. दशहरा का पूरा दिन ही शुभ माना जाता है. दशहरे के दिन साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक माना जाता है, इसलिए पूरा दिन ही शुभ माना जाता है. इस दिन आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं.
श्रवण नक्षत्र का महत्व:-
उदयातिथि के अनुसार, दशहरा 05 अक्टूबर को है. हालांकि इस दिन दशमी तिथि दोपहर 12 बजे तक ही रहेगी. इसके बाद एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार, दशमी तिथि दोपहर में हो या न हो, लेकिन जिस दिन श्रवण नक्षत्र विद्यमान हो, उस दिन विजयादशमी मान्य होती है.
कई तरीकों से मनाया जाता है दशहरा:-
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अलग-अलग जगहों पर दशहरे का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. शस्त्र का प्रयोग करने वाले समुदाय इस दिन शस्त्र पूजन करते हैं. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं. किसी नए काम को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. कई जगहों पर दशहरे के दिन नया सामान खरीदने की भी परंपरा है. अधिकतर जगहों पर इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है. वहीं जब पुरुष रावण दहन के बाद घर लौटते हैं तो कुछ जगहों पर महिलाएं उनकी आरती उतारती हैं और टीका करती हैं.
दशहरा शुभ मुहूर्त:-
दशमी तिथि 04 अक्टूबर को दोपहर 02:20 मिनट से शुरू होगी, जो कि 05 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी.
श्रवण नक्षत्र- 04 अक्टूबर 2022 को रात 10:51 से शुरू होकर अगले दिन 5 अक्टूबर 2022 को रात 09:15 तक रहेगा
रवि योग: 5 अक्टूबर को सुबह 06:30 से रात 09:15 तक.
सुकर्मा योग: 4 अक्टूबर सुबह 11:23 से अगले दिन 5 अक्टूबर सुबह 08:21 तक.
धृति योग: 5 अक्टूबर सुबह 08:21 से अगले दिन 6 अक्टूबर सुबह 05:18 तक.
रावण दहन का शुभ समय:-
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है. इस दिन रावण के पुतला का दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है. रावण दहन के बाद उसकी राख को घर लाना अति शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है.
मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन माना जाता है शुभ:-
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं. विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.
पान देता है आरोग्य:-
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विजयादशमी पर पान खाने, खिलाने तथा हनुमानजी पर पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्त्व है. पान मान-सम्मान, प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है. इसलिए विजयादशमी के दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है. वहीं शारदीय नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पान का सेवन पाचन क्रिया को मज़बूत कर संक्रामक रोगों से बचाता है.
नीलकंठ का दिखना क्यों शुभ है?
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब श्रीराम रावण का वध करने जा रहे थे. उसी दौरान उन्हें नीलकंठ के दर्शन हुए थे. इसके बाद श्रीराम को रावण पर विजय मिली थी. यही वजह है कि नीलकंठ का दिखना शुभ माना गया है. इस दिन सभी अपने शस्त्रों का पूजन करते है. सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर जल छिड़क कर पवित्र किया जाता है फिर महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाया जाता है. शाम को रावण के पुतले का दहन कर विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है. इसी तरह की कई और बातें हैं जो दशहरा के दिन की जाती है. इनमें से एक है, आज के दिन पान का बीड़ा हनुमानजी के चढ़ाना और उसके बाद इसे खाना. पान हनुमाजी को बहुत पसंद है और इस बार दशहरा मंगलवार को पड़ रहा है इसलिए यह दिन और भी खास हो जाता है.
पूजन विधि:-
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.